क्रिकेट फ्लैशबैक - इंग्लैंड दौरे पर टीम इंडिया की पहली जीत, 1971 में वाडेकर की कप्तानी में टीम ने फहराया था परचम

Updated: Sat, Jan 23 2021 14:48 IST
Cricketnmore.

इंग्लैंड की टीम 5 फरवरी को भारत के दौरे पर आएगी जहां वो 4 टेस्ट, 3 वनडे और 5 टी-20 मुकाबले खेलेगी। ये टेस्ट सीरीज वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के लिहाज से बहुत अहम होने वाली है।

ऐसे में दोनों टीमें अपनी पूरी ताकत के साथ मैदान पर उतरेंगी। भारत को घरेलू सरजमीं पर हराना हमेशा से ही विदेशी टीमों के लिए टेढ़ी खीर साबित हुआ है और इस बार भी ये बिल्कुल आसान नहीं होने वाला है।

वैसे, अगर घरेलू सरजमीं पर खेलने की बात है तो जब भारतीय टीम इंग्लैंड का दौरा करती है तो ज्यादातर मौकों पर भारत को हार का ही सामना करना पड़ता है लेकिन आज हम आपको उन खूबसूरत यादों की सैर पर ले चलेंगे जहां से टीम इंडिया की इंग्लैंड पर बादशाहत का दौर शुरू हुआ था। जी हां, हम बात कर रहे हैं भारतके उस इंग्लैंड दौरे की जहां टीम इंडिया ने अंग्रेजों को उन्हीं की सरजमीं पर पहली बार धूल चटाई थी।

भारतीय टीम का इंग्लैंड का 7वां दौरा (1971)

ये बात है साल 1971 की जब टीम इंडिया ने 7वीं बार इंग्लैंड का दौरा किया था। इसे दौरे पर भारतीय टीम की कमान अजित वाडेकर के हाथों में थी। वाडेकर भारतीय टीम के लिए उस समय नंबर तीन पर बल्लेबाजी करते थे। वाडेकर भारत के पहले वनडे कप्तान भी थे। उस दौरे पर भारतीय टीम ने तीन टेस्ट मैच खेले।

इस दौरे से ही भारत के टेस्ट इतिहास का स्वर्णिम युग शुरू हुआ था जहां भारत ने तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में इंग्लिश टीम को 1-0 से धूल चटाकर पहली बार इंग्लैंड की धरती पर टेस्ट सीरीज जीती थी। तो आइए आज आपको इन शानदार पलों को दोबारा से जीने का मौका देते हैं और तीनों टेस्ट मैचों की यादों को दोबारा सेताज़ा करते हैं।

 

पहला टेस्ट (लॉर्ड्स 1971)

लॉर्ड्स में खेले गए पहले टेस्ट मैच में अगर बारिश खलल ना डालती तो ये सीरीज 1-1 से ड्रॉ भी हो सकती थी क्योंकि पांचवें दिन चायकाल के बाद जिस समय बारिश आई उस समय भारत 183 के लक्ष्य से सिर्फ 38 रन पीछे था और अभी भी उनके दो विकेट शेष थे। ये काफी करीबी मुकाबला बन चुका था लेकिन बारिश केचलते दोनों टीमों को ड्रॉ के साथ ही संतोष करना पड़ा। इस मुकाबले में बिशन सिंह बेदी, चंद्रशेखर और वेंकटराघवन ने शानदार स्पिन गेंदबाजी की थी। इंग्लैंड के बल्लेबाज इस उच्च श्रेणी की स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ संघर्ष करते रहे।

इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 304 रन बनाए और भारत ने भी तगड़ा जवाब देते हुए 313 रन बोर्ड पर टांगते हुए 9 रन की बढ़त ले ली थी। इसके बाद दूसरी पारी में इंग्लिश टीम सिर्फ 191 रनों पर सिमट गई और भारत को जीत के लिए 183 रनों का लक्ष्य मिला जिसे टीम इंडिया हासिल करते हुए कभी भी नजर नहीं आईक्योंकि सुनील गावस्कर (53) और फार्रुख इंजीनियर को छोड़कर कोई भी बल्लेबाज कुछ खास नहीं कर पाया और आखिरी दिन चायकाल के समय बारिश ने टीम इंडिया को हार से बचा लिया।

दूसरा टेस्ट (मैनचेस्टर 1971)

इस मुकाबले में भी इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का ही फैसला किया और स्कोरबोर्ड पर 386 रन टांग दिए। भारत के लिए आबिद अली ने पहली पारी में चार विकेट लिए। 386 रनों के जवाब में भारतीय बल्लेबाजी बुरी तरह से फ्लॉप रही और सिर्फ 212 रनों पर ढेर हो गई। भारत के लिए पहली पारी में सुनीलगावस्कर ने 57 और एकनाथ सोलकर ने 50 रनों की पारियां खेली।

पहली पारी में 174 रनों की भारी भरकम लीड लेने के बाद इंग्लैंड ने दूसरी पारी में 3 विकेट के नुकसान पर 245 रन बनाकर पारी घोषित कर दी और भारत के सामने जीत के लिए 420 रनों का असंभव सा लक्ष्य दिया। भारत ने दूसरी पारी में सिर्फ 65 रनों पर ही तीन विकेट गंवा दिए थे लेकिन पांचवें दिन बारिश के चलते खेलनहीं हो पाया और एक बार फिर इंग्लैंड के जीत के मंसूबों पर पानी फिर गया। दो मुकाबलों के बाद सीरीज बराबरी पर ही थी और अब बारी थी तीसरे और आखिरी टेस्ट की जो कि ओवल के मैदान पर खेला जाना था।

तीसरा टेस्ट (ओवल 1971)

इस टेस्ट में इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और पहली पारी में 355 रनों का पहाड़ खड़ा कर दिया। इसके जवाब में भारतीय टीम पहली पारी में 284 रनों पर ढेर हो गई। पहली पारी में बढ़त लने के बावजूद इंग्लैंड की टीम दूसरी पारी में सिर्फ 101 रनों पर ढेर हो गई और भारत को मैच जीतने केलिए सिर्फ 173 रनों का लक्ष्य मिला जिसे भारत ने कप्तान वाडेकर (45) और दिलीप सरदेसाई (40) की शानदार पारियों की बदौलत हासिल कर लिया। हालांकि, टीम इंडिया को ये जीत आसानी से हासिल नहीं हुई। भारत को टेस्ट सीरीज जीतने के लिए इंच-इंच लड़ना पड़ा था

इस मैच की दोनों पारियों में कप्तान वाडेकर ने शानदार बल्लेबाजी की थी। भारतीय कप्तान ने दोनों पारियों में (48, 45) बनाए थे। उनके अलावा सरदेसाई (40) और विश्वनाथ (33) और इंजीनियर(नाबाद 28) ने भी शानदार बल्लेबाजी की थी।

 

इंग्लैंड को 28 टेस्ट मैचों में मिली थी पहली हार

यह पहली बार था जब भारत ने इंग्लैंड में कोई टेस्ट जीता था। जून 1968 के बाद से 28 टेस्ट मैचों में यह पहली बार था जब इंग्लैंड को हराया गया था और यह भी पहली बार था कि भारत ने एक साल में दो सीरीज में जीत दर्ज की, इंग्लैंड को हराने से पहले भारत ने उसी साल वेस्टइंडीज को भी हराया था। भारत के हाथों मिलीहार इंग्लैंड के लिए उस साल (1971) 14 टेस्ट में पहली हार थी।

भारत के खिलाफ हारने से पहले इंग्लैंड की ताकतवर टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 6, न्यूजीलैंड के खिलाफ 2 और भारत-पाकिस्तान के खिलाफ तीन-तीन टेस्ट मैच खेले थे जिसमें उसने ऑस्ट्रेलिया को 2-0, न्यूजीलैंड को 1-0 और पाकिस्तान को 1-0 से हराकर भारत के खिलाफ अपनी ही सरजमीं पर 0-1 से तीन मैचों कीसीरीज गंवां दी थी।

1971 की जीत में इंद्रदेवता ने भी निभाई थी अहम भूमिका

अगर पीछे मुड़ कर 1971 के इंग्लैंड दौरे को देखा जाए, तो बेशक आप ये कहेंगे कि भारत ने इंग्लैंड को उसी की धरती पर अजित वाडेकर की कप्तानी में 1-0 से धूल चटाई थी लेकिन ये भी कहना गलता नहीं होगा कि टीम इंडिया को उस पूरे दौरे पर भाग्य का भी भरपूर साथ मिला क्योंकि अगर पहले दोनों टेस्ट मैचों में बारिश कासाथ ना मिलता तो शायद सीरीज का स्कोर कुछ और भी हो सकता था। ऐसे में भारत को इंग्लैंड में पहली सीरीज जीतने के लिए और लंबा इंतजार करना पड़ सकता था।


 

TAGS

Related Cricket News

Most Viewed Articles