Cricket Tales - जब टेस्ट को रोमांचक बनाने के चक्कर में गैरी सोबर्स दोनों पारी समाप्त घोषित कर टेस्ट हार गए

Updated: Thu, Jan 26 2023 09:29 IST
Image Source: Google

Cricket Tales - मार्च 1968 में पोर्ट ऑफ स्पेन टेस्ट- वेस्टइंडीज के कप्तान गैरी सोबर्स ने टेस्ट में, दो बार (526/7 और 92/2) पारी समाप्त घोषित की और इंग्लैंड को जीत के लिए 165 मिनट में 215 रन बनाने थे। वे जब 7 विकेट से जीते तब भी 3 मिनट/8 गेंद बचे थे। इसी टेस्ट को और गहराई से देखते हैं- आखिरकार सोबर्स ने ऐसा किया क्यों?

पोर्ट-ऑफ-स्पेन टेस्ट को शुरू से ड्रॉ ही माना गया था- पिच सपाट थी और दोनों टीम में कई धुरंधर थे। ये सीरीज का चौथा टेस्ट था और पहले 3 टेस्ट में स्कोर 0-0 था। वेस्टइंडीज ने एक कमाल ये किया कि टॉप पेसर वेस हॉल को नहीं खिलाया। सोबर्स ने टॉस जीता, बल्लेबाजी का फैसला किया और तीसरी सुबह 526-7 पर पारी समाप्त घोषित की (सिमोर नर्स 136, कन्हाई 153- तीसरे विकेट के लिए 273 रन जोड़े)।

इंग्लैंड ने जवाब में 404 रन बनाए- सबसे बड़ी कामयाबी ये थी कि फॉलो-ऑन मार्क को पार किया था (कॉलिन काउड्रे 148)। एक ख़ास बात ये थी कि इंग्लैंड के आख़िरी 5 विकेट उन बेसिल बुचर(5-34) ने लिए जिन्होंने न तो उससे पहले और न ही उसके बाद टेस्ट क्रिकेट में और कोई विकेट लिया। चौथी शाम वेस्टइंडीज की दूसरी पारी शुरू हुई- वे 6-0 थे और कुल 128 रन आगे।

अब आया पांचवां दिन। सोबर्स ने टेस्ट में दूसरी बार पारी समाप्त घोषित की- इस बार 92-2 पर और हर किसी को हैरान कर दिया। ये बड़ा अजीब फैसला था उनका और जो बल्लेबाज पिच पर थे उन्हें न तो इसका कोई अंदाजा था और न ही उन्हें तेज स्कोरिंग के लिए कहा गया था। इंग्लैंड को 165 मिनट में जीत के लिए 215 रन बनाने थे। सोबर्स कहते हैं कि उन्होंने दो बातें सोचीं- टेस्ट को रोमांचक बनाना और जीत की उम्मीद करना। इस टूर में इंग्लैंड ने इससे पहले, कभी भी एक घंटे में 40 रन भी नहीं बनाए थे और इसलिए सोबर्स को उन से ऐसा करने की कोई उम्मीद नहीं थी।

जानकार कहते हैं सोबर्स अपनी ऑब्जर्वेशन में गलती कर गए- पिच सपाट थी, इंग्लिश बल्लेबाज अपनी घरेलू क्रिकेट में ऐसे स्कोर बनाते रहते थे, उनकी बल्लेबाजी में बैरिंगटन, काउड्रे, बॉयकॉट और टॉम ग्रेवेनी जैसे धुरंधर थे और सबसे ख़ास बात ये कि वेस्टइंडीज के पास न तो हॉल थे और न ही चार्ली ग्रिफिथ (वे टेस्ट के दौरान चोटिल हो गए थे), खुद सोबर्स ने टेस्ट में एक भी विकेट नहीं लिया था, दिग्गज स्पिनर लांस गिब्स सिर्फ एक विकेट ले पाए थे और बुचर का 5 विकेट लेना 'तुक्का' ज्यादा था।

सोबर्स पर ट्रेवर बेली ने जो किताब लिखी उसमें उन्होंने लिखा कि सोबर्स ने सिर्फ टेस्ट को रोमांचक बनाने के बारे में सोचा ताकि टेस्ट देखने वालों के पैसे वसूल हो जाएं।

अब देखिए इंग्लैंड ने किया क्या? बॉयकॉट और एड्रिच ने 19 ओवरों में 55 रन जोड़कर ठोस शुरुआत की- अनोखा रिकॉर्ड ये कि टेस्ट क्रिकेट में सिर्फ तीसरी बार, एक टेस्ट में सभी चार ओपनिंग पार्टनरशिप 50 रन वाली थीं।

इसके बाद काउड्रे-बॉयकॉट पिच पर थे और चाय पर स्कोर था- 75-1 तथा अब 90 मिनट में 140 रन चाहिए थे। इंग्लैंड टीम के ड्रेसिंग रूम में तरह-तरह की बातें हो रही थीं। एक सोच थी कि तेजी से रन बनाओ जबकि दूसरी सोच थी कि बिना जोखिम उठाए ड्रा के लिए खेलो। सोबर्स भी तारीफ़ के हकदार हैं- आज के कप्तानों की तरह कतई समय खराब नहीं किया। सच तो ये है- वेस्टइंडीज ने 21 ओवर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी की। 18 ओवरों में स्कोर 173 था। काउड्रे 75 मिनट में 10 चौकों की मदद से 71 रन बनाकर आउट हुए। लक्ष्य अब 35 मिनट में 42 रन था और जीत सामने थी। 18 मिनट रहते 200 रन पूरे हुए और जल्दी ही जीत वाला स्कोर भी बन गया। बॉयकॉट 162 मिनट में 7 चौकों के साथ 80* पर थे।

Also Read: क्रिकेट के अनसुने किस्से

सोबर्स की पूरे वेस्टइंडीज में बड़ी खिंचाई हुई। उनके इस्तीफे की मांग ने जोर पकड़ लिया। इस टेस्ट को 'बोन-हेड' का नाम मिला। सोबर्स को अपने फैसले पर कोई अफ़सोस नहीं था। कई साल बाद उन्होंने कहा- अगर फिर से मौका मिला तो समान परिस्थितियों में वे फिर से ऐसा करेंगे! इस इंटरव्यू में उन्होंने इस बात को भी गलत बताया कि फैसला लेने से पहले उन्होंने टीम के क्रिकेटरों से इस बारे में बात नहीं की थी। तब भी सोबर्स ने हार की पूरी जिम्मेदारी ली।

TAGS

Related Cricket News ::

Most Viewed Articles