Cricket Tales - आज ऑस्ट्रेलिया की टीम में रेडपाथ जैसी स्पिन को खेलने की टेलेंट वाला कौन है?
Cricket Tales - ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत में है और टेस्ट सीरीज के लिए उनके रवाना होने से पहले ही जिस मुद्दे की सबसे ज्यादा चर्चा थी वह है भारत में स्पिन को कैसे खेलना है? वे गलत नहीं और हर चर्चा में स्पिन गेंदबाजी है। क्या आपको मालूम है कि सिडनी के दो दिन और अलुर में चार दिन के कैंप में, ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटरों को, भारत की पिचों पर, स्पिन खेलने की तकनीक सिखाने के लिए किस क्रिकेटर की मिसाल बार -बार दी गई और उसकी तकनीक की चर्चा हुई? ये नाम है इयान रेडपाथ का जो संयोग से इन दिनों में एक और खबर की वजह से जिक्र के हकदार हैं- उन्हें ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट हॉल ऑफ फ़ेम में शामिल किया है। जैसे 66 टेस्ट खेलने के बावजूद, वे कम मशहूर हैं- वैसे ही उनके लिए इस सम्मान की खबर पर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया पर भारत में स्पिन खेलने के बात करनी है तो शायद विदेशी क्रिकेटरों में वे सबसे अच्छी मिसाल में से एक हैं।
सबसे पहले संक्षेप में उनका परिचय। पिछली शताब्दी के 60-70 के सालों में इयान चैपल, बॉब काउपर और कीथ स्टैकपोल जैसे ही मशहूर क्रिकेटर थे। सही खेलने के इतने पक्के कि जो 66 टेस्ट खेले उनमें से आख़िरी में, पहली बार टेस्ट करियर में 6 वाला शॉट लगाया। टेस्ट करियर : 66 टेस्ट- 43.45 औसत से 4737 रन जिसमें 8 शतक।
अपनी पहली टेस्ट पारी में 97 रन से धीरे-धीरे रेडपाथ, मिडिल आर्डर में एक भरोसे के और लंबे समय तक क्रीज पर जमे रहने वाले क्रिकेटर बन गए। उनकी एक और बात के लिए मिसाल दी जाती है- शादी ने किस्मत चमका दी और एक विवाहित के तौर पर 39 टेस्ट में 49.18 की औसत से रन बनाए- 8 शतक और 21 अर्द्धशतक के साथ। जिस पारी का यहां जिक्र हो रहा है वह इसी दौर की है- 1969 में मद्रास (अब चेन्नई) में भारत के विरुद्ध पांचवें टेस्ट में। 100 नहीं बनाए पर रेडपाथ भी इसे अपनी सबसे बेहतर पारी गिनते हैं- वास्तविक टर्निंग विकेट पर 63 रन। सीधे मद्रास चलते हैं।
टेस्ट चला 24 से 28 दिसंबर तक जिसमें 26 तारीख को 'रेस्ट' था- ऑस्ट्रेलिया ने चौथे दिन लंच के एक घंटे बाद टेस्ट 77 रन से जीत लिया। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में अगर उन टेस्ट की लिस्ट बनाएं जो भारत जीत सकता पर आखिर में हारे तो ये टेस्ट टॉप में से एक होगा। टेस्ट था तो 6 दिन का पर पिच से ऐसा टर्न मिल रहा था कि 4 दिन में ही खत्म हो गया। मैच से पहले लगातार बारिश हुई थी मद्रास में जिससे पिच की तैयारी पर असर पड़ा- पिच पूरी तरह से नहीं टूटी पर खराब जरूर हुई। सबूत- गिरे 39 में से 26 विकेट स्पिनरों ने लिए। भारत औरऑस्ट्रेलिया दोनों की तरफ से एक-एक स्पिनर ने टेस्ट में 10 -10 विकेट लिए।
डग वाल्टर्स के 102 के साथ ऑस्ट्रेलिया ने पहले खेल कर 258 रन बनाए। जवाब में मैलेट के 5 विकेट लेने के साथ, भारत 163 रन पर ढेर और ऑस्ट्रेलिया को 95 रन की कीमती बढ़त मिली। ऑस्ट्रेलियाई पारी दूसरे दिन से ही परेशानी में पड़ गई थी- शुरुआत की डेब्यू कर रहे मोहिंदर अमरनाथ ने। आउट हुए - स्टैकपोल और इयान चैपल। दिन का खेल खत्म होने पर स्कोर 14-2 था। मेहमानों की क्रिसमस पार्टी खराब कर दी।
तीसरे दिन की सुबह तो और तमाशा हुआ- प्रसन्ना के सामने विकेट ताश के पत्तों की तरह गिरे। वाल्टर्स, लॉरी, शीहान और विकेटकीपर ब्रायन टैबर फटाफट आउट और उस समय प्रसन्ना के गेंदबाजी के आंकड़े थे- 21 गेंद पर 8 रन देकर 4 विकेट! ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 24-6 और सबसे कम स्कोर के नए रिकॉर्ड की चर्चा शुरू हो गई थी। उसके बाद- शायद ये प्रभाव भारत के खिलाड़ी हजम नहीं कर पाए और मेहमान टीम संभल गई।
रेडपाथ को भारतीय फील्डर ने तीन जीवनदान दिए- वे 63 रन बना गए। रेडपाथ ने मेने के साथ, आठवें विकेट के लिए 50 रन जोड़े और उसी से ऑस्ट्रेलिया की पारी संभल गई। मैकेंजी (24), लॉरी मेन और मैलेट सभी ने उपयोगी रन जोड़े और आउट हुए कुल 153 रन पर। प्रसन्ना ने इस पारी में 6-74 और टेस्ट में 10-174 के आंकड़े दर्ज किए। अगर तब रेडपाथ ने रन न बनाए होते तो भारत मुश्किल में न फंसता। इससे भारत को जीत के लिए 249 रन बनाने की चुनौती मिली जो इस पिच पर आसान नहीं थी। अजीत वाडेकर और विश्वनाथ ने दिल्ली में 181 रन के लक्ष्य का पीछा करने में साथ दिया था और संयोग से तीसरे दिन यही दोनों पिच पर थे- क्रमश: 36 और 31 बना कर।
अगले दिन मैलेट ने मैच में दूसरी बार 5 विकेट लिए और रात के 82-2 से आगे खेलते हुए भारत 171 रन पर आउट हो गया। भारत सीरीज हार गया 3-1 से। वाडेकर (55) और विश्वनाथ (59) ने शतकीय साझेदारी (102) की पर उसके बाद कोई नहीं टिका। अगर भारत ने ये टेस्ट जीत लिया होता तो शायद नवाब पटौदी से कप्तानी छीनने की नौबत न आती और तब न जाने भारतीय क्रिकेट का इतिहास क्या होता?
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ट्रेवर गोडार्ड ने उन्हें स्पिन को खेलने में दुनिया के सबसे सही बल्लेबाज में शामिल किया।