Cricket Tales - एमवी नरसिम्हा राव, MBE से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय टेस्ट क्रिकेटर
Cricket Tales - प्रधानमंत्री जैसा नाम, क्वीन से मैडल और जिसे भारत से बाहर भी याद करते हैं- कौन सा क्रिकेटर है ये?
शुरुआत तीन सवाल से करते हैं
1. आज तक सिर्फ एक भारतीय टेस्ट क्रिकेटर को यूके में क्वीन ने MBE का सम्मान दिया- किसे ?
2. आज तक सिर्फ एक भारतीय टेस्ट क्रिकेटर ऐसा है जिसके नाम में भारत के प्रधानमंत्री के नाम की झलक है- कौन? ध्यान न दें तो गूगल सर्च में भी गलती हो जाएगी।
3. आज तक सिर्फ एक भारतीय टेस्ट क्रिकेटर को, किसी दूसरे देश को टेस्ट क्रिकेट का दर्जा दिलाने में योगदान का श्रेय दिया जाता है- किसे?
इन तीनों सवाल का जवाब एक ही है
एमवी नरसिम्हा राव (Modireddy Venkat Narasimha Rao) जो क्रिकेट में बॉबजी के नाम से मशहूर हुए। शायद आज के क्रिकेट को चाहने वालों ने उनका नाम भी नहीं सुना होगा। वे हैदराबाद क्रिकेट में एक ख़ास नाम थे, टेस्ट क्रिकेट खेले, प्रोफेशनल के तौर पर आयरलैंड में खेलने का मौका मिला तो वहां चले गए और वहीं, MBE से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय टेस्ट क्रिकेटर बने। अब इन्हीं सवालों के जवाब की विस्तार से चर्चा करते हैं पर उससे पहले ये जानना जरूरी है कि इस समय उनका जिक्र आया ही क्यूं?
उन्हें, इस समय याद करने की वजह है उनकी किताब 'बॉबी इंडिया एंड आयरलैंड...ए लव स्टोरी' जिसे हाल ही में हैदराबाद में रिलीज किया गया। किताब को उनके लिए, पत्रकार कोनोर शार्की ने लिखा है। इस मौके पर वी.वी.एस. लक्ष्मण (अब एनसीए चीफ), बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी, हैदराबाद शहर के पुलिस चीफ और हैदराबाद के क्रिकेटर सी.वी. आनंद, शिव लाल यादव और अरशद अय्यूब भी मौजूद थे। नरसिम्हा राव बोले- 'हमने क्रिकेट को जुनून के साथ खेला और हर पल का मजा लिया। ये किताब, न सिर्फ मेरे करियर के बेहतर दिनों की याद दिलाने की कोशिश है, जैसे कि भारतीय टीम में खेलना और आयरलैंड का सफर जहां मैं अभी भी रहता हूं- हैदराबाद क्रिकेट और इसके दिग्गजों के योगदान भी साथ में चर्चा में हैं।'
नरसिम्हा राव के साथ खेले, रोजर बिन्नी ने इस मौके पर कहा- 'बॉबजी हैदराबाद के बेहतरीन क्रिकेटरों में से एक ही नहीं, ग्राउंड पर और ग्राउंड के बाहर रॉक स्टार थे- घुंघराले बाल थे उन दिनों (अब गंजे हैं), मजाकिया और चिकन के इतने शौकीन कि बाक़ी खिलाड़ियों के लिए ज्यादा कुछ नहीं बचता था।'
सबसे पहले उनकी क्रिकेट की बात। 1970 और 80 के सालों के फर्स्ट क्लास क्रिकेटर (रिकॉर्ड बड़ा प्रभावशाली- 4124 रन, औसत 47.40 और 218 विकेट,औसत 24.20)। 4 टेस्ट भी खेले- ऑलराउंडर के तौर पर लेकिन ख़ास तौर पर एक शानदार फील्डर और लेग स्पिनर थे। पूरा नाम मादिरेड्डी वेंकट 'बॉबजी' नरसिम्हा राव। जन्म 11 अगस्त, 1954 को- ये तारीख ख़ास है क्योंकि उस दिन, एक और टेस्ट क्रिकेटर का भी जन्म हुआ था- यशपाल शर्मा का।
एक और मजेदार बात- जब 1979 में कलकत्ता में अपना पहला टेस्ट खेलने का मौका मिला तो टीम में चयन के बाद, एक मंदिर में श्रद्धा से अपना सिर मुंडवा लिया था..कप्तान कालीचरण उनका पहला विकेट थे। 1978-79 में वेस्टइंडीज के विरुद्ध दो टेस्ट के बाद टीम से बाहर। किम ह्यूज की ऑस्ट्रेलिया टीम के विरुद्ध अगले सीज़न में फिर से वापस लौटे लेकिन दो टेस्ट ही और खेले- हालांकि ईडन गार्डन में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 5वें टेस्ट में, भारत को हार से बचाने में ख़ास भूमिका निभाई। भारत को आखिरी दिन जीत के लिए 247 रन की जरूरत थी और एक समय 123-4 स्कोर था। गावस्कर, वेंगसरकर, विश्वनाथ और चेतन चौहान के पवेलियन लौटने से फंस गए थे। ऐसे में नरसिम्हा राव ने यशपाल के साथ मैच बचाने वाली पार्टनरशिप की- यशपाल ने 85* रन बनाए और आख़िरी स्कोर 200-4 था। ये नरसिम्हा राव का आखिरी टेस्ट था।
क्रिकेट से रिटायर हुए तो इरादा था- हैदराबाद क्रिकेट में योगदान। हैदराबाद क्रिकेट एकेडमी ऑफ एक्सीलेंस के डायरेक्टर बने और हैदराबाद को क्रिकेट कोचिंग के सेंटर में बदल दिया। उनकी सेंट जॉन्स क्रिकेट एकेडमी से वीवीएस लक्ष्मण, मिताली राज, बावनका संदीप, हनुमा विहारी और तरुण नेथुला जैसे कई स्टार सामने आए। तभी आयरलैंड में खेलने और कोचिंग का ऑफर मिला। भारत के कई जो इंटरनेशनल क्रिकेटर स्कॉटलैंड/आयरलैंड में भी खेले पर सिर्फ नरसिम्हा राव वहीं टिक गए। 1980 में आयरलैंड में एक प्रोफेशनल के तौर पर खेले- आपको ये जानकर हैरानी होगी कि 6 ऑफिशियल मैच में आयरलैंड का प्रतिनिधित्व भी किया।
आयरलैंड क्रिकेट में योगदान और टेस्ट दर्जा : वहां की कई अखबारों ने आयरलैंड को टेस्ट दर्जा दिलाने के लिए एमवी नरसिम्हा राव के योगदान को भी जिम्मेदार गिना। खेलने-कोचिंग कॉन्ट्रैक्ट के बाद भी, वहीं रुके रहे और क्रिकेट में योगदान देते रहे। इसकी एक वजह और भी थी। जब स्ट्रैबेन में कोचिंग के लिए थे तो मुलाकात जोसेफिन मैकलेरॉय से हुई- प्यार हो गया और सात साल बाद शादी कर ली। मिरर अखबार ने लिखा था- एमवी नरसिम्हा राव आयरलैंड क्रिकेट के गुमनाम हीरो में से एक हैं।
नरसिम्हा राव के आयरलैंड क्रिकेट में योगदान की कई बातें ऐसी हैं, भारत में जिनका जिक्र नहीं हुआ। एक बड़ा सबूत- इयॉन मॉर्गन (आयरलैंड और इंग्लैंड टीम के कप्तान) ने भी वहां क्रिकेट में बॉबजी के प्रभाव का पिछले दिनों जिक्र किया। विलियम पोर्टरफील्ड, ओ'ब्रायन भाइयों, टिम मुर्टाग, बॉयड रैंकिन, एंड्रयू मैकब्राइनऔर एड जॉयस जैसे क्रिकेटरों के करियर में उनका योगदान रहा। 2011 आईसीसी विश्व कप के लिए आयरलैंड की जो क्रिकेट टीम आई थी, उसके साथ वे भी थे- असिस्टेंट कोच के तौर पर। एक रिकॉर्ड जिस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया- जब आयरलैंड ने लंबे इंतजार के बाद टेस्ट डेब्यू किया 2018 में तो प्लेइंग इलेवन के 11 में से 9 ऐसे थे जो कभी न कभी बॉबी से कोचिंग ले चुके थे।
यूके में MBE का सम्मान : आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि क्वीन ने उन्हें MBE का सम्मान दिया? उन्होंने हमेशा इसे भारत में पद्मश्री मिलने जैसा माना। आम तौर पर जवाब है आयरलैंड क्रिकेट में उनके योगदान की वजह से। इससे भी ज्यादा, इस MBE सम्मान की वजह और भी है- नार्थ आयरलैंड में जातीय समुदाय (ethnic community) के लिए उनकी सेवा। वे नस्लवाद विरोधी कैंपेन में शामिल थे। आयरलैंड में, बाहर से आए हर उस व्यक्ति की मदद करते हैं जो दिक्कत में है।
इसी सिलसिले में, स्ट्रैबेन एथनिक कम्युनिटी एसोसिएशन की स्थापना की- ये एक ऐसा संगठन है जो दुनिया भर के हजारों परिवारों के लिए उम्मीद की किरण बन गया है। इसी की खबर फ़ैली तो 2011 में उनके कम्युनिटी वर्क की मान्यता में, उन्हें बकिंघम पैलेस ने सम्मानित किया।
उनके ब्रिटिश MBE मैडल की एक स्टोरी और भी है- ये खो गया है। कैसे? नरसिम्हा राव कुछ साल पहले एक प्रोग्राम के लिए भारत आए तो उन्हें पहले से ही कह दिया गया था कि अपना मैडल साथ लाएं और प्रोग्राम में उसे दिखाएं भी। वे मैडल ले आए, प्रोग्राम में मैडल दिखाया भी पर जब प्रोग्राम के बाद होटल लौटे तो मैडल गायब था। उन्हें नहीं पता कि मैडल कैसे खो गया? बड़ा ढूंढा- मैडल नहीं मिला। सभी से अपील की कि जिस किसी को भी इस मैडल के बारे में कोई खबर मिले, उन्हें सूचित करें। .
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नाम में भारत के प्रधानमंत्री के नाम की झलक : नाम एमवी नरसिम्हा राव जो भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के नाम की झलक देता है। वे पूरी दुनिया में, ऐसा नाम साझा करने वाले कुछ क्रिकेटरों में से एक हैं। लॉर्ड हॉक भी ऐसे ही थे। हैम्पशायर के जॉर्ज ब्राउन का नाम गॉर्डन ब्राउन (ब्रिटिश पीएम) से मिलता -जुलता है जबकि रिचर्ड जॉनसन (मिडलसेक्स ) का नाम बोरिस जॉनसन से। ऐसी और भी मिसाल हैं।