WTC Final की शुरूआत के साथ ही टीम इंडिया बना देगी रिकॉर्ड, 91 साल में दूसरी बार होगा ऐसा

Updated: Mon, Jun 05 2023 13:48 IST
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भारत और ऑस्ट्रेलिया 7 जून से डब्ल्यूटीसी यानि कि वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल टेस्ट खेल रहे हैं। टेस्ट कहां है- क्या इस पर ध्यान दिया? इंग्लैंड में लंदन के द ओवल में- ऐसा क्यों? असल में जब डब्ल्यूटीसी का स्वरूप बनाया तो ये पहले ही तय हो गया था कि फाइनल लॉर्ड्स, इंग्लैंड में होगा- चाहे कोई भी टीम फाइनल खेलें। ये बात अलग है न तो पहला डब्ल्यूटीसी फाइनल लॉर्ड्स में हुआ (कोविड की वजह से रोज बाउल ट्रांसफर) और न ही इस बार वहां खेल रहे हैं। 

इस टेस्ट के कई रिकॉर्ड का जिक्र हो रहा है पर भारत के नज़रिए से इस टेस्ट की एक ख़ास बात ये है कि भारत न्यूट्रल ग्राउंड में सिर्फ दूसरी बार टेस्ट खेलने जा रहा है- इससे पहले भी 2021में, डब्ल्यूटीसी फाइनल की बदौलत ही न्यूट्रल ग्राउंड में टेस्ट खेले थे। ये एक तरह से, अपनी पिच पर न खेलने वाली बात है पर दूसरी टीम की 'अपनी' पिच पर खेलने से बच गए। 

जब जून 2021 में सॉउथम्पटन में डब्ल्यूटीसी फाइनल टेस्ट खेले थे तो भारत, न्यूट्रल ग्राउंड में टेस्ट मैच खेलने वाला 11वां देश बना था। स्पष्ट है भारत इस क्लब में बड़ी देरी से शामिल हुआ पर संयोग देखिए कि 2021 के ऐसे टेस्ट के दो साल बाद, अगला टेस्ट भी भारत ही खेल रहा है। 

बड़ा मजेदार किस्सा है न्यूट्रल ग्राउंड में टेस्ट क्रिकेट का। ऐसा पहला टेस्ट 100 साल से भी पहले खेले थे- तब दक्षिण अफ्रीका ने 1912 में मैनचेस्टर (इंग्लैंड) में ऑस्ट्रेलिया को एक पारी और 88 रन से हराया था। वास्तव में, तब एक प्रयोग हुआ था और टेस्ट मैचों का ट्रायंगुलर खेले थे जिसमें तीसरी टीम इंग्लैंड थी। दक्षिण अफ्रीका- ऑस्ट्रेलिया दूसरा टेस्ट लॉर्ड्स में और नॉटिंघम में तीसरा टेस्ट खेला गया। ऐसा प्रयोग फिर कभी नहीं हुआ।  

न्यूट्रल ग्राउंड में अगला टेस्ट खेलने में 77 साल लग गए- पाकिस्तान ने एशियाई टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में ढाका में श्रीलंका को 170 रन से हराया। इसका मतलब है कि फिर से किसी 'टेस्ट चैंपियनशिप' की बदौलत ही न्यूट्रल ग्राउंड में कोई टेस्ट खेले।  

उसके बाद न्यूट्रल ग्राउंड में किन्हीं दूसरी वजह से भी टेस्ट खेलने लगे। ज्यादातर यूएई, श्रीलंका और इंग्लैंड ने इन टेस्ट की मेजबानी की। हालत ये थी कि पाकिस्तान में टेस्ट का आयोजन, वहां आतंकी माहौल होने से रोका तो वे अपने हिस्से की सीरीज ही न्यूट्रल ग्राउंड में आयोजित करते थे। इसीलिए अब तक जो कुल 47 टेस्ट न्यूट्रल ग्राउंड में खेले जा चुके हैं- उनमें से 39 में एक टीम पाकिस्तान है।  

एक और बड़ी मजेदार बात ये है कि भारत खुद न्यूट्रल ग्राउंड में टेस्ट खेलने से भी पहले, न्यूट्रल ग्राउंड टेस्ट का मेजबान बन चुका था- 2019 में अफ़ग़ानिस्तान ने यहां दो टेस्ट खेले।अफगानिस्तान, ने भारत को अपना 'होम वेन्यू' चुन लिया था और उसी के तहत भारत में 'मेजबान' बने। मजे की बात ये है कि इस रिकॉर्ड के लिए बीसीसीआई ने उन्हें अपने नियमित टेस्ट वेन्यू नहीं दिए। मार्च 2019 में, देहरादून में राजीव गांधी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में अफगानिस्तान ने आयरलैंड से टेस्ट खेला और उसके बाद नवंबर 2019 में लिस्ट में, लखनऊ के भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी इकाना क्रिकेट स्टेडियम का नाम भी आ गया जहां वेस्टइंडीज ने उन से टेस्ट खेला।  

ऐसा नहीं है कि इससे पहले भारत के कभी न्यूट्रल ग्राउंड में टेस्ट खेलने की बात नहीं हुई। दो बार, भारत न्यूट्रल ग्राउंड में टेस्ट खेलने के बहुत करीब था। टेस्ट मैचों की एक ट्राई सीरीज-  एशियाई टेस्ट चैंपियनशिप नाम से, 1999 में खेले- टीम श्रीलंका, पाकिस्तान और भारत थीं। इससे ठीक पहले, पाकिस्तान ने भारत टूर में कोलकाता में जो तीसरा टेस्ट खेला- उसी को  एशियाई टेस्ट चैंपियनशिप का पहला टेस्ट मान लिया। ये वही टेस्ट था जो बड़ा विवादस्पद रहा और पाकिस्तान ने खाली स्टेडियम में जीत हासिल की- 46 रन से। चैंपियनशिप में इससे आगे भारत ने कोलंबो में श्रीलंका के विरुद्ध ड्रॉ खेला और पाकिस्तान-श्रीलंका टेस्ट ड्रॉ होने से पाकिस्तान और श्रीलंका फाइनल में पहुंचे और टेस्ट ढाका में खेले। इस तरह फाइनल में न पहुंचकर भारत, न्यूट्रल ग्राउंड में टेस्ट खेलने से चूक गया।

2009 में तय हुआ कि अगले साल ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान जुलाई में इंग्लैंड में दो टेस्ट खेलेंगे- पाकिस्तान के लिए नया 'होम' इंग्लैंड बना। 98 साल में पहला मौका था जब इंग्लैंड टेस्ट क्रिकेट के लिए न्यूट्रल ग्राउंड बना। ये टेस्ट इंग्लैंड में रह रहे एशियाई मूल के लोगों की वजह से इतने लोकप्रिय साबित हुए कि इंग्लैंड ने प्रस्ताव रख दिया कि वे भारत-पाकिस्तान टेस्ट सीरीज की मेजबानी के लिए तैयार हैं। ऐसे टेस्ट के लिए, स्टेडियम भरने के पूरे-पूरे आसार हैं। ये सीरीज तो आयोजित नहीं हो पाई, भारत के ऐसी सीरीज खेलने में कोई रुचि न लेने के कारण पर उसके बाद भी बार-बार ऐसी सीरीज इंग्लैंड में खेलने की बात उठती रहती है।  

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तो भारत के लिए न्यूट्रल ग्राउंड में, एक और टेस्ट खेलने का रिकॉर्ड अब बनने जा रहा है। भारत के 91 साल के टेस्ट इतिहास में यह दूसरा मौका है जब वह न्यूट्रल ग्राउंड पर खेलेगी।
 

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