जब टीम इंडिया के एक क्रिकेटर पर लंदन के स्टोर से चोरी का आरोप लगा था,क्या हुआ था और किसने मदद की?
Sudhir Naik: भारतीय क्रिकेट की सबसे विवादास्पद घटनाओं में से एक के 50 साल पूरे हुए पिछले दिनों पर कहीं उस का जिक्र नहीं हुआ। शायद इसलिए भी कि आरोप बड़ा हैरान करने वाला था और जिस क्रिकेटर पर आरोप लगा उसकी छवि ऐसी थी कि किसी ने भी आरोप पर न तब विश्वास किया और न ही उसके बाद कभी। इस किस्से का जिक्र न करने की एक वजह शायद ये भी है कि जिसकी हमेशा तारीफ की- उसके बारे में ऐसा कैसे लिख दें? ऐसी मानसिकता ने ही तो इस क्रिकेटर को उस मुश्किल में फंसाया था।
जो क्रिकेटर बेहद ईमानदार इंसान गिना गया, 'अपने' फटे ग्लव्स के साथ भी खेला पर स्वाभिमान इतना कि किसी से फालतू पड़े ग्लव्स भी नहीं मांगे तो इस आरोप को सच कौन मानेगा कि इंग्लैंड टूर के दौरान, एक स्टोर से, मोजे के 2 (3/4- अलग-अलग जगह अलग गिनती लिखी है) जोड़े चुराने की कोशिश की?
आज तो इस किस्से का जिक्र और भी जरूरी है क्योंकि आज भारतीय क्रिकेट जहां है उसमें न तो कोई ऐसा आरोप लगाने की हिम्मत करता और अगर मामला उछल भी जाता तो बीसीसीआई उस क्रिकेटर और भारतीय क्रिकेट के सम्मान को बचाने के लिए, तब जो हुआ वैसा न करते। कमजोर् टीम मैनेजर, कमजोर बोर्ड, लंदन में इंडियन हाई कमीशन से कोई मदद नहीं और उसी शाम के इंडियन हाई कमिश्नर के घर डिनर में पहुंचने की देरी का डर, इस आरोप से कहीं बड़े बना दिए गए।
ये क्रिकेटर थे ओपनर बल्लेबाज और मुंबई के 1970-71 के रणजी ट्रॉफी विजेता कप्तान सुधीर नाइक जो लगभग 78 साल जिए। 1974-1975 में ही करियर के 3 टेस्ट और 2 वनडे खेल लिए थे। 1974 में हेडिंग्ले, लीड्स, इंग्लैंड में वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट में, भारत के लिए पहला 4 इन्हीं सुधीर ने लगाया था। पिछले साल, दादर में, अपने घर में गिरने के बाद आई चोट से ऐसे अस्पताल गए कि वापस नहीं लौटे।
उनके एक्टिव क्रिकेट और उसके बाद के क्रिकेट से जुड़े करियर के बारे में बहुत कुछ लिख सकते हैं पर यहां सीधे उस नाकामयाब टूर के उस शर्मनाक दिन पर चलते हैं। अजीत वाडेकर कप्तान थे और टीम टूर में तीनों टेस्ट और दोनों वनडे हारी। इन हार से भी बड़ा था ख़राब खेलना, टीम के बड़े खिलाड़ियों के बीच आपसी अनबन में खुलेआम झगड़े और यहां तक कि टेस्ट में एक बार तो पूरी टीम सिर्फ 42 रन पर आउट हुई। सुधीर ने कई साल बाद कहा भी- बृजेश पटेल, मदन लाल और मेरे जैसे लोगों के लिए, जो पहली बार किसी इंटरनेशनल टूर पर थे, ये सब देखना...बड़ा डिप्रेसिंग था।
किसी ने भी इस आरोप को सच नहीं माना कि उन्होंने मार्क्स एंड स्पेंसर के ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट स्टोर से मोजे के जोड़े चुराने की कोशिश की पर इस आरोप से बचाने की सही कोशिश भी नहीं की। इसके उलट, इस क्रिकेटर की सफाई पर, उसे सपोर्ट करने की जगह, मामले को रफा-दफा करने के लिए, माहौल बनाकर, क्रिकेटर को ही राजी कर लिया कि वे गलती मान लें क्योंकि इससे सिर्फ नकद जुर्माना लगेगा और बाहर किसी को कुछ पता न चलेगा। कई तरह से समझाया- अख़बारों में चोरी का किस्सा छपेगा, भारत में बड़ी बदनामी होगी, केस लड़ेंगे तो वकीलों की भारी फीस कौन देगा, जब तक केस का फैसला नहीं होगा लंदन में ही रुकना पड़ेगा और उसका खर्चा कौन उठाएगा। तब भी ये किस्सा ब्रिटिश अखबारों में एक बड़ी खबर था।
उस पर, इस मामले को निपटाने और ट्रैफिक में फंसने से टीम जब उसी शाम के भारतीय हाई कमिश्नर की पार्टी में देर से पहुंची तो वहां भी सभी के सामने टीम की बेइज्जती हुई। इतनी ज्यादा कि वाडेकर खिलाड़ियों के साथ पार्टी से निकलकर, बाहर खड़ी बस में बैठ गए थे। जब गुस्सा कुछ कम हुआ तो समझाए जाने पर, एक बार फिर से, इस किस्से के उछलने से दबाने के लिए, पार्टी में वापस लौट गए।
ये सब इतना बड़ा किस्सा है जिस पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है पर इसकी सच्चाई पर जो तब टीम के एक खिलाड़ी सुनील गावस्कर ने अपनी किताब सनी डेज़ में लिखा उसे भी आधार बनाएं तो भी यही सब सच है। गावस्कर ने लिखा कि सुधीर नाइक को मजिस्ट्रेट के सामने अपना दोष मानने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए था। झूठे आरोप पर लड़ने के लिए एक अच्छा वकील देते। तब टीम मैनेजर भूतपूर्व टेस्ट क्रिकेटर कर्नल हेमू अधिकारी थे। वे तो वैसे भी दब्बू थे। उन सालों में टीम के साथ कोच नहीं , मैनेजर के जाने का सिस्टम था। तब बीसीसीआई चीफ पीएम रूंगटा थे। एक और जिस सच्चाई को टीम मैनेजमेंट ने सही इस्तेमाल नहीं किया, वह थी एक चश्मदीद गवाह की मौजूदगी। ये तो खबरों में ही नहीं आया कि टीम के एक और क्रिकेटर, उस स्टोर में शॉपिंग के दौरान, उनके साथ थे- ये थे पांडुरंग सालगांवकर।
इस चोरी के आरोप की खबर के साथ, उसी स्टोर से फ्रांसीसी टेनिस स्टार फ्रैंकोइस डूर की मां पर भी लगभग ऐसा ही चोरी का आरोप लगा था। उन्होंने ने भी अपने बेटे को बदनामी से बचाने के लिए, स्टोर वालों के कहने पर दोष मान लिया- बच्चों के दो गारमेंट चुराने का आरोप लगा उन पर और 25 पाउंड का जुर्माना लगा। सुधीर नाइक पर 75 पाउंड का जुर्माना लगा। स्टोर के सिस्टम को न समझ पाने में, विदेश से आने वालों से होने वाली गलती पर वहां तमाशा एक आम बात थी और इसीलिए स्टोर को किसी से हमदर्दी नहीं थी। साथ में ये 50 साल पहले की बात है और तब लंदन जाना आज जैसा आम नहीं था। बीसीसीआई ने ही साथ नहीं दिया तो किसी और से क्या कहें?
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- चरनपाल सिंह सोबती