टेस्ट क्रिकेटर जिसने ताजमहल से होटल तक साइकिल रिक्शा चलाया,फिर आत्महत्या कर दी जान,अब बेटे ने खेले 100 टेस्ट

Updated: Fri, Mar 15 2024 16:26 IST
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धर्मशाला टेस्ट इंग्लैंड के जिस एक क्रिकेटर के लिए हमेशा सबसे खास रहेगा वे हैं जॉनी बेयरस्टो (Jonny Bairstow )। अपना 100वां टेस्ट खेले इस सवाल के साथ कि इसमें फेल हुए तो अपना 101वां टेस्ट नहीं खेलेंगे। इतना ही नहीं खुद ब्रिटिश मीडिया ने लिखा कि जो 17 क्रिकेटर इंग्लैंड के लिए 100 टेस्ट कैप हासिल कर चुके हैं- वे उनमें से सबसे घटिया क्रिकेटर कहे जा सकते हैं। साफ़ मतलब है कि 100 टेस्ट खेल लिए अपने आप को साबित करने की कोशिश में।

 

इस 100 टेस्ट खेलने के यादगार के मौके पर स्टेडियम में जॉनी बेयरस्टो का परिवार मौजूद था। जॉनी बेयरस्टो ने अपने पिता को भी याद किया जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। कौन थे उनके पिता? इस बार इसी सवाल को लेंगे। 

जॉनी बेयरस्टो के पिता का नाम है डेविड बेयरस्टो और उनका सबसे बड़ा परिचय ये है कि वे भी इंग्लैंड के लिए टेस्ट क्रिकेट खेले और वे भी विकेटकीपर थे। संयोग यहीं ख़त्म नहीं होता- भले ही 4 टेस्ट और 21 वनडे इंटरनेशनल खेले पर जॉनी की तरह वे भी क्रिकेट करियर में खुद को साबित करने की लड़ाई लड़ते रहे। 47 साल की उम्र से पहले इस दुनिया से चले भी गए- इसमें भी कशमकश शामिल रही और एक ऐसा दाग जिससे निकलने में परिवार को सालों लग गए। 

अच्छे विकेटकीपर थे पर संयोग से ऐसे दौर में खेले जब इंग्लैंड के पास एलन नॉट, बॉब टेलर और जिमी बिंक्स जैसे बेहतरीन विकेटकीपर उपलब्ध थे और क्रिकेट करियर इनसे तुलना में ही निकल गया। अच्छे थे तभी तो यॉर्कशायर जैसे काउंटी क्लब ने कप्तान बनाया और बॉयकॉट के सालों के विवाद से उन्होंने ही यॉर्कशायर को संकट से निकाला था। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में लगभग 14 हजार रन बनाए, 10 शतक, 961 कैच और 138 स्टंप किए।1982 में स्कारबोरो में डर्बीशायर के विरुद्ध 11 कैच लपक कर- एक मैच के वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी की थी।

उनके अपने अनोखे किस्से हैं। 17 साल के थे तो यॉर्कशायर ने अचानक ही फर्स्ट क्लास क्रिकेट डेब्यू (विरुद्ध ग्लूस्टरशायर) के लिए बुला लिया। संयोग से उसी दिन ए-लेवल इंग्लिश लिट्रेचर का इम्तिहान था- स्कूल वाले इस डेब्यू से इतने खुश थे कि सुबह 6 बजे से उनके लिए अलग से इम्तिहान करा दिया ताकि खेलने जा सकें। 1981 में इंग्लैंड ने वेस्टइंडीज टूर के लिए नंबर 1 विकेटकीपर के तौर पर चुना तो पर चोट खा गए, टीम में जगह गई और फिर से जूझने का सिसिला शुरू हो गया। 

रिटायर हुए तो उससे पहले ही स्पोर्ट्स गुड्स का बिजनेस जमा लिया था- उसमें लग गए और साथ में रेडियो कमेंटेटर बने। दो शादी कीं- पहली गेल से जो ज्यादा नहीं चली और दूसरी शादी से जॉनी का जन्म हुआ। उनकी मौत की बात करें तो सच ये है कि आत्महत्या की (1988 में)- उन गिने चुने टेस्ट क्रिकेटरों में से एक जिन्होंने आत्महत्या की। घर पर ही- पत्नी के जन्मदिन से एक दिन पहले। 

'ब्लूई' के नाम से मशहूर थे, खुशमिजाज जो जिंदगी को क्रिकेट जितना ही प्यार करते थे। ठीक है मुश्किलें थीं जैसे कि दूसरी पत्नी जेनेट को कैंसर था और उनकी कीमो-थेरेपी चल रही थी पर सबसे ज्यादा परेशान थे शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाने के एक मामले से और इससे डिप्रेशन में आ गए थे। ख़ास बात ये थी कि दोषी साबित हो भी जाते तो सजा बस यही थी कि एक साल तक गाड़ी न चला पाते। किसी को कुचला नहीं था बल्कि अपना हाथ टूट गया और कंधे में एक स्टील की प्लेट डालनी पड़ी। इसका मतलब था गोल्फ खेलना बंद जो रिटायर होने के बाद उनका एक बड़ा सहारा था।  उधर यॉर्कशायर क्रिकेट क्लब में भी माहौल बहुत अच्छा नहीं था और एक बार कमेटी मीटिंग में झगड़े तो क्लब ने उन्हें हेडिंग्ले में एंट्री से रोकने की धमकी दे दी। ये सब बातें मिलकर उनकी परेशानी की वजह थीं। यही नहीं, जॉनी भी शुरू में कई साल अपने पिता से नाराज रहे- इस वजह से कि मुश्किलों में अकेला छोड़ गए।   
 
कई और बड़ी अजीब और मजेदार बातें हैं उनसे जुड़ी। होबार्ट में तस्मानिया के विरुद्ध एक टूर मैच में फील्डर थे तो ऐसी थ्रो फेंकी जो सीधी अंपायर को जा लगी। एक बार ड्रेसिंग रूम के फर्श पर गिर गए तो नाक कट गई। एक फ्लाइट के दौरान  इलेक्ट्रिक रेजर का इस्तेमाल करते हुए खुद को ही काट लिया। सबसे मजेदार बात तो भारत में 1979-80 के जुबली टेस्ट टूर की है। तब टेलर के डिप्टी थे। उसी टूर के दौरान घूमने आगरा भी गए। शौकीन आदमी थे और किसी को अपना क्रिकेटर वाला परिचय नहीं दिया। होटल से, पत्नी (तब :गेल) के साथ ताज महल गए साइकिल-रिक्शा पर। जब उसी पर लौट रहे थे तो उन्हें लगा कि रिक्शा चलाने वाला थक गया है। ये शायद अपनी तरह का एक अनोखा किस्सा है कि खुद रिक्शा को पैडल मारकर वापस होटल ले गए। क्या कोई भारतीय क्रिकेटर कभी पत्नी को बैठाकर रिक्शा चलाएगा? 

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इंग्लिश क्रिकेट में उनकी 1980-81 में वेस्टइंडीज टूर में कप्तान बॉथम से झड़प की भी कई स्टोरी हैं। यहां तक कि बेयरस्टो ने साफ़ आरोप लगाया कि बॉथम टेस्ट के लिए उनके मुकाबले पॉल डाउनटन को मौका देते रहे।
 

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