सचिन तेंदुलकर के 100वें शतक के इंतजार की कहानी, जो उन्हें एशिया कप के लिए बांग्लादेश ले गया था 

Updated: Mon, Sep 04 2023 13:32 IST
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कई जानकार ये मानते थे कि सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को 2011 वर्ल्ड कप जीत के साथ ही रिटायर हो जाना चाहिए था पर वे खेलते रहे- शायद एक बड़े क्रिकेट रिकॉर्ड के इंतजार में। रिकॉर्ड था- इंटरनेशनल क्रिकेट में 100 शतक का पर गड़बड़ ये हुई कि अचानक ही उनके बैट ने 100 बनाना बंद कर दिया। ये, तब मानो एक 'राष्ट्रीय मसला' बन गया था कि वे 100वां 100 कब बनाएंगे?

जब भी बल्लेबाजी के लिए आते तो ये आख़िरी 100 पूरा करने में नाकामी चर्चा बन जाती थी। यहां तक कि इसी 100वें 100 की चाह ही उन्हें 2012 एशिया कप में बांग्लादेश ले गई। वहां, मीरपुर में बांग्लादेश के विरुद्ध 147 गेंद की कड़ी मेहनत के बाद 114 रन बनाए पर सबसे ज्यादा तसल्ली इस बात की थी कि 100 बना लिया। भारत का स्कोर 289 रन रहा और भारत ये मैच हार गया था। इसी हार ने टीम इंडिया को फाइनल की रेस से बाहर करने में बड़ी ख़ास भूमिका निभाई थी।  

आज के क्रिकेट प्रेमी और सचिन तेंदुलकर के बारे में पढ़ते हुए ये अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि उन दिनों में एशिया कप, सचिन तेंदुलकर के लिए कितनी बड़ी राहत बना था। 

12 मार्च 2011: सचिन तेंदुलकर ने अपना 99वां इंटरनेशनल 100 लगाया (2011 वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध) और अब सवाल था 100वां 100 कब बनेगा? एक ऐसा माइलस्टोन जो पहले कभी नहीं बना था- उनके बिलकुल करीब था। हुआ ये कि इसी उम्मीद का दबाव इतना बढ़ गया कि बेताबी सी हो गई थी। 2011 में 4 वनडे और खेले- एक में 85 बनाए पर 100 नहीं बने। टी20ई पहले ही खेलना छोड़ दिया था जबकि टेस्ट में 94 और 80 भी बनाए पर 100 का स्कोर नहीं बना। फरवरी 2012 में 7 वनडे खेले पर 100 नहीं बना पाए। तब वे अपनी मर्जी से मैच चुन रहे थे पर इस रिकॉर्ड की चाह ऐसी हो गई थी कि 2012 एशिया कप में खेलने के लिए तैयार हो गए। 

एशिया कप में पहले मैच में 6 रन। अब आया 16 मार्च 2012 का दिन और मैच था बांग्लादेश के विरुद्ध। आखिरकार ये लगा कि आज 100 बनेगा। जैसे ही सचिन रिकॉर्ड के करीब थे- भीड़ इंतजार कर रही थी। भारत और दुनिया के कई हिस्सों में लोग अपने टीवी सेट से चिपके बैठे थे। तब आखिरकार सचिन ने वह कर दिखाया जो पहले किसी ने नहीं किया था। यह भारत के लिए सचिन का आखिरी 100 था- उस एशिया कप के बाद वे वनडे नहीं खेले। 2013 में अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला और 24 साल के करियर को खत्म किया।

इस दलील का कोई फायदा नहीं कि वे नाइंटीज में 27 बार आउट हुए इंटरनेशनल क्रिकेट में- गिने तो 100 ही जाते हैं। ये कितना बड़ा रिकॉर्ड है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोई अगला दावेदार भी नजर नहीं आ रहा इस रिकॉर्ड का। लगा था विराट कोहली ये रिकॉर्ड बना सकते हैं पर मौजूदा सालों में उनके बैट ने भी पहले की तरह से 100 बनाना बंद कर दिया है।  

इस तरह सचिन तेंदुलकर ने 99 से 100 इंटरनेशनल 100 तक पहुंचने के लिए एक साल से ज्यादा इंतजार किया। हर पारी के साथ उन पर दबाव बढ़ रहा था और समय कम हो रहा था। यहां तक कि जब अपने पहले 100 की 30वीं सालगिरह पर बोले तो अपने पहले और 100वें इंटरनेशनल 100 के बीच फर्क के बारे में ज्यादा बात की थी- 'अपना पहला 100 बनाने के बाद मुझे नहीं पता था कि आगे 99 बाकी हैं। जब मैं 99 पर अटका हुआ था, सब सलाह दे रहे थे- ये करो, वह करो लेकिन उन्हें यह एहसास नहीं हुआ कि में 99 बार ये स्कोर बना चुका था। पहले और 100वें 100 के बीच यही फर्क था।'

पहला 100 उनके लिए बड़ा ख़ास था- इससे भारत को टेस्ट मैच बचाने में मदद मिली और सीरीज डैड नहीं हुई। उनके 189 गेंद में 119* के लिए प्लेयर ऑफ द मैच का अवार्ड मिला और ओल्ड ट्रैफर्ड में टेस्ट ड्रा करा सके। पहली पारी में, सचिन ने  68 रन बनाए थे और आउट होने वाले आखिरी बल्लेबाज थे। दूसरी पारी  में नंबर 6 पर बल्लेबाजी के लिए आए- विकेट गिर रहे थे और टिककर खेलने की जरूरत थी।  

अपने 99 वें और 100वें 100 के बीच वह कौन सी पारी थी जिसमें खुद सचिन को ये लगा था कि वे 100 बना लेंगे? इसके लिए सचिन ओवल अगस्त 2011 को चुनते हैं। वे 91 पर थे और गेंद लेग-स्टंप से बाहर थी पर गलती हुई। उस 100 के न बनने से वास्तव में पूरे देश में निराशा थी और ब्रिटिश मीडिया ने भी लिखा कि सचिन का 100 बनना चाहिए था इस पारी में। ऑस्ट्रेलियाई अंपायर रॉड टकर ने टिम ब्रेसनन को एलबीडब्ल्यू विकेट दिया। ये बड़ा विवादस्पद फैसला था और ख़ास बात ये है कि भारत ने इस सीरीज में हॉक-आई के इस्तेमाल से इनकार कर दिया था।  

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इसी सीरीज के लॉर्ड्स में पहले टेस्ट के दौरान भी तेंदुलकर के 100 वें 100 की बड़ी चर्चा थी- ये गिनती में 2,000वां टेस्ट था और इस ऐतिहासिक टेस्ट के लिए तेंदुलकर का रिकॉर्ड सही मौका था पर ऐसा हुआ नहीं। इसके बाद हर उम्मीद ओवल टेस्ट पर आ टिकी। आखिरकार रिकॉर्ड बना एशिया कप में।  

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