पाकिस्तान के दिग्गज बल्लेबाज हनीफ मोहम्मद के संन्यास की कहानी

Updated: Mon, Aug 05 2024 11:58 IST
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Cricket Trivia: ऐसी टेस्ट टीम जो सबसे ज्यादा समय तक जीवित रही, उसके जीने की उम्र 54 साल हो गई। इससे पहले कोई टेस्ट टीम ऐसी नहीं थी जिसके सभी खिलाड़ी 54 साल तक जीवित रहे हों (रिकॉर्ड था- 53 साल 115 दिन का जो 1966-67 के केप टाउन टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध खेली ऑस्ट्रेलिया की टीम ने बनाया था)। रिकॉर्ड बनाने वाली टीम है पाकिस्तान की- वह टीम जो 30 अक्टूबर 1969 से शुरू हुए न्यूजीलैंड के विरुद्ध लाहौर टेस्ट में खेली थी। 

वैसे कुछ तो ख़ास बात है लंबे समय तक टीम के जीवित रहने के रिकॉर्ड के संदर्भ में पाकिस्तान टीम की उपलब्धि की। 20 दिसंबर 2023 के दिन तक- 
* अभी तक जीवित (सभी खिलाड़ी), सबसे पुरानी टेस्ट टीम के रिकॉर्ड में टॉप 10 टीम पाकिस्तान की हैं। 
* अभी तक जीवित (सभी खिलाड़ी), सबसे पुरानी टेस्ट टीम के रिकॉर्ड में टॉप 17 टीम में से 16 टीम पाकिस्तान की हैं। 

फिर से सबसे लंबी जीवित पाकिस्तान टेस्ट टीम पर लौटते हैं। लाहौर टेस्ट की जिस टीम के नाम ये रिकॉर्ड है, उसके इस मुकाम तक पहुंचने के लिए सेलेक्टर्स भी बहुत कुछ जिम्मेदार हैं। पाकिस्तान के सेलेक्टर्स के सबसे बड़े घोटालों में से एक का किस्सा जुड़ा है इससे। 

1969 में न्यूजीलैंड की टीम ने 3 टेस्ट की सीरीज खेली पाकिस्तान में। न्यूजीलैंड में अगर इस साल को चंद्रमा पर पहली लैंडिंग और वियतनाम वॉर के लिए याद रखते हैं तो इस बात के लिए भी कि न्यूजीलैंड ने पाकिस्तान को पहली बार उन्हीं की पिच पर हराया- ये कितनी बड़ी बात थी इसका अंदाजा इसे रिकॉर्ड से लगा लीजिए कि अगली जीत कहीं 49+ साल से भी बाद में मिली। कप्तान ग्राहम डाउलिंग की टीम में कोई विश्व प्रसिद्ध खिलाड़ी नहीं था पर बेहतर क्रिकेट खेलने वाले कई युवा खिलाड़ी थे। कराची में पहला टेस्ट ड्रा रहा। इस टेस्ट में हनीफ मोहम्मद भी खेले थे और तब तक एक टेस्ट बल्लेबाज के तौर पर उनका बेहतर दौर बीत चुका था पर क्रिकेट इतिहासकार मानते हैं कि पाकिस्तान टीम को तब भी उनकी जरूरत थी। 

इस कराची टेस्ट में दो भाइयों हनीफ और सादिक मोहम्मद ने ओपनिंग की (किसी टेस्ट में दो भाइयों के ओपनिंग करने का रिकॉर्ड सिर्फ दूसरी बार बना) और 55 एवं 75 रन की पार्टनरशिप की। असल गड़बड़ रहे हनीफ के स्कोर- पहली पारी में लगभग ढाई घंटे में 22 रन बनाए और दूसरी पारी में लगभग पौने तीन घंटे में 35 रन बनाए। इस तरह हनीफ ने रन तो बनाए पर उनकी धीमी बल्लेबाजी और खराब फील्डिंग खटक गई। नतीजा- लाहौर के अगले टेस्ट की टीम से हनीफ को निकाल दिया। हनीफ के साथ-साथ जहीर अब्बास और आसिफ मसूद भी बाहर हुए और उनकी जगह सलाह-उद-दीन, शफकत राणा और सलीम अलताफ को ले लिया गया।

ये आज तक तय नहीं हुआ है कि हनीफ को ड्रॉप किया था या वे फिट नहीं थे- पाकिस्तान क्रिकेट की कई किताबों में लिखा है कि आलोचना से बचने के लिए बाद में हनीफ को राजी कर लिया कि वे कह दें कि वे फिट नहीं थे। खैर, दूसरा वही लाहौर टेस्ट था जिसका उम्र के रिकॉर्ड में जिक्र हो रहा है। न्यूजीलैंड ने इसी लाहौर टेस्ट को जीता और इसी की बदौलत सीरीज 1-0  से जीते। ढाका (अब बांग्लादेश में) तीसरा टेस्ट ड्रॉ रहा था- ये ईस्ट पाकिस्तान में खेला आखिरी टेस्ट था। पाकिस्तान में सीरीज जीतना एक आश्चर्यजनक उपलब्धि थी।

जब हनीफ के टेस्ट टीम से आउट होने के बाद लाहौर में टेस्ट हारे तो बड़ा बवाल हुआ। हनीफ को टीम में वापस लाने का शोर हुआ पर तब तक हनीफ अपने अपमान की वजह से इतने नाराज थे कि फिर से पाकिस्तान के लिए खेलने का इरादा छोड़ चुके थे। अब आपको बताते हैं कि वास्तव में उन दिनों में पाकिस्तान क्रिकेट में हुआ क्या था?

कराची टेस्ट के तीसरे दिन, पाकिस्तान के पूर्व कप्तान, क्रिकेट बोर्ड चीफ और अपने आप को पाकिस्तान में क्रिकेट में सबसे बड़ी शख्सियत मानने वाले अब्दुल हफीज कारदार, प्रेस बॉक्स में आए और और एक सीनियर रिपोर्टर से कहा- 'फौरन ड्रेसिंग रूम में जाओ और उससे मिलो।' तब लंच ब्रेक चल रहा था। मिलना था हनीफ मोहम्मद से।

थोड़ी देर बाद वे फिर से प्रेस गैलरी में आए तो उस रिपोर्टर ने जवाब दिया- 'मैं मिस्टर हनीफ़ से मिला। वह ठीक हैं।' ये जवाब सुनते ही कारदार गुस्से से लाल हो गए। किताबों में लिखा है कि पंजाबी में गालियां दीं और बोले- जिस तरह परवेज सज्जाद की गेंद पर स्लिप पर कैच छोड़े हैं. वह फिट कैसे हो सकता है?

टी इंटरवल तक ये अफवाह फैल चुकी थी कि हनीफ टेस्ट क्रिकेट से रिटायर हो रहे हैं। हनीफ से भी पूछा जाने लगा तो वे भांप चुके थे कि क्या खिचड़ी पक रही है? जवाब दिया- उन्हें बता दो, मैं रिटायर नहीं हो रहा हूं। लाहौर टेस्ट से दो दिन पहले एक इंटरव्यू में हनीफ ने कहा कि अगर उन्हें लाहौर टेस्ट के लिए न चुना तो वह खेलना छोड़ देंगे।

मजे की बात ये कि तब, हनीफ़ के बड़े भाई वज़ीर सेलेक्शन कमेटी में थे और उन्होंने ही पहली बार प्रेस को खबर दी कि सब खत्म हो गया है और हनीफ़ को लाहौर टेस्ट के लिए नहीं चुना है। हनीफ को खबर मिली तो उनकी आंखों में आंसू थे। उनकी पत्नी ने कहा भी कि रिटायर होने की घोषणा न करें या कम से कम देश को बताएं कि उन्हें उस क्रिकेट को छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है जिसे वे बहुत प्यार करते हैं। हनीफ की दलील थी- 'मुझे चुप रहना होगा क्योंकि मुझे अपने दो छोटे भाइयों- मुश्ताक और सादिक के करियर को बचाना है।' हनीफ रिटायर हो गए। 

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वे लाहौर टेस्ट की टीम में नहीं थे तभी बड़ी उम्र वाला अब ये रिकॉर्ड बना है। हनीफ का 11 अगस्त 2016 को देहांत हुआ। उस लाहौर टेस्ट की टीम के इंतिखाब आलम 28 दिसंबर को 82 साल के हो जाएंगे और उनके जन्म दिन के मौके पर ही पाकिस्तान क्रिकेट की इस अद्भुत स्टोरी की चर्चा कर रहे हैं।
 

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