उस दिन भी ऑस्ट्रेलिया, टीम इंडिया से नहीं, सचिन तेंदुलकर से हार गया था  

Updated: Tue, Nov 26 2024 16:51 IST
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रणजी ट्रॉफी के 5वें राउंड के एक मैच में गोवा ने पोरवोरिम में अरुणाचल प्रदेश को पारी और 551 रन से हराया। इस मैच में गोवा की बैटिंग में बने रिकॉर्ड की चर्चा में एक अच्छा प्रदर्शन नजरअंदाज हुआ। पहली पारी में अरुणाचल के सिर्फ 84 पर आउट होने में, अर्जुन तेंदुलकर ने 5/25 की गेंदबाजी की और रणजी ट्रॉफी में पहली बार 5 विकेट का रिकॉर्ड बनाया। दूसरी पारी में उन्हें कोई विकेट नहीं मिला। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अर्जुन के गेंदबाजी रिकॉर्ड (17 मैच में 33.51 औसत से 37 विकेट) में 5 विकेट एक ख़ास बात है और यही अब फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका सबसे बेहतर प्रदर्शन है। 

अर्जुन के इस प्रदर्शन को एक और नजरिए से भी देखा गया। वे अब उन खिलाड़ियों में से एक जिन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 100 रन और 5 विकेट यानि कि दोनों माइलस्टोन हासिल किए। मजेदार चर्चा ये चली कि फर्स्ट क्लास क्रिकेट में ऐसा रिकॉर्ड तो 'डैडी' सचिन तेंदुलकर के नाम भी नहीं है। वैसे तो सचिन से अर्जुन की कैसी तुलना (सचिन का फर्स्ट क्लास क्रिकेट रिकॉर्ड : 310 मैच में 71 विकेट, 81 शतक समेत 25000+ रन) लेकिन कभी भी किसी फर्स्ट क्लास मैच में 3 से ज्यादा विकेट नहीं लिए। उनका सबसे बेहतर गेंदबाजी प्रदर्शन 3/10 था। तो क्या ये कह दें कि अर्जुन गेंदबाजी के रिकॉर्ड में सचिन को टक्कर देते हैं? इसी सवाल का जवाब देते हैं।  

अर्जुन के अरुणाचल प्रदेश के विरुद्ध 5/25 और ऊपर की चर्चा से ये तो स्पष्ट है कि तेंदुलकर फैमिली में, फर्स्ट क्लास क्रिकेट में एक पारी में सबसे बेहतर गेंदबाजी रिकॉर्ड अब अर्जुन के नाम है। एक ही क्रिकेट फैमिली की दो पीढ़ियों का फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 5 विकेट लेना काफी आम रिकॉर्ड है। यहां तक कि ट्रेमलेट फैमिली के तो मौरिस, टिम और क्रिस तीनों ने 5 विकेट लिए। डी'ओलिवेरा फैमिली से बेसिल और ब्रेट ने 5 विकेट लिए लेकिन इन दोनों के बीच की पीढ़ी के डेमियन चूक गए (सबसे बेहतर : 4/68)। इसी तरह, जॉर्ज और डीन हेडली ने 5 विकेट लिए लेकिन रॉन 4 विकेट पर ही रहे।

यहां इस सोच को बदलना होगा कि सचिन ने कभी 5 विकेट का रिकॉर्ड नहीं बनाया। अरे! सचिन ने तो 5/32 की वह गेंदबाजी की जो (1998 में) ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम के विरुद्ध वनडे इंटरनेशनल में थी। तब उनके विकेट में, स्टीव वॉ, डेरेन लेहमन, माइकल बेवन, टॉम मूडी और डेमियन मार्टिन जैसे नाम थे। ये तो वह गेंदबाजी थी जिसका जिक्र ऑस्ट्रेलिया वाले आज तक करते हैं। 

1998 में ऑस्ट्रेलिया टीम भारत में 3 टेस्ट की सीरीज 2-1 से हारी। उसके बाद वनडे का एक ट्रायंगुलर खेले जिसमें तीसरी टीम जिम्बाब्वे थी। टूर्नामेंट का पहला मैच भारत-ऑस्ट्रेलिया था कोच्चि के नेहरू स्टेडियम में 1 अप्रैल को। ये स्टेडियम फुटबॉल के लिए मशहूर था, न कि क्रिकेट के लिए और ये वहां पहला वनडे था। कप्तान अजहरुद्दीन ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी को चुना। 

दोनों ओपनर नवजोत सिद्धू (1) और सचिन तेंदुलकर (8) सिर्फ 19 रन तक पवेलियन में थे लेकिन, अजय जडेजा 105*, मोहम्मद अज़हरुद्दीन 82 और हृषिकेश कानिटकर 57* ने स्कोर 309 रन तक पहुंचाया। उन दिनों 300+ को अच्छा बड़ा मानते थे। जवाब में, ऑस्ट्रेलिया को एडम गिलक्रिस्ट (45 गेंद में 61) ने धमाकेदार शुरुआत दी और 12 ओवर के अंदर 100 रन बन गए थे। गिलक्रिस्ट ने जरूरी रन रेट काफी कम कर दिया था और इसके बाद मैच ऑस्ट्रेलिया के कंट्रोल में था। ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 31 ओवर में 202-3 था। एक समय 17.3 ओवर में 107 रन की जरूरत थी और ये बनाना कोई बहुत मुश्किल नहीं था।

तेंदुलकर, उस दिन आजमाए 6 गेंदबाज में से आखिरी थे। 34वें ओवर में स्टीव वॉ (26) उनका पहला विकेट थे। एक ओवर बाद डेरेन लेहमन (8) भी आउट और यहां से मैच फंसा। 40वें ओवर में जब बेवन (82 गेंद में 65) को भी आउट कर दिया तो मैच में भारत के कंट्रोल में आता दिखाई दिया। जब 42वें ओवर में टॉम मूडी (23) और 44 वें ओवर में डेमियन मार्टिन (2) भी आउट हुए तो तेंदुलकर ने वनडे में अपना पहला 5 विकेट का रिकॉर्ड बनाया। वे 5/32 के प्रभावशाली आंकड़े के साथ 'मैन ऑफ द मैच' थे और इसकी बदौलत भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 268 रन पर आउट कर 41 रन से जीत हासिल की।

उस टूर में टेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान मार्क टेलर ने चेन्नई टेस्ट में हार के बाद कहा था- 'हम भारत नाम की टीम से नहीं हारे, हम सचिन तेंदुलकर नाम के व्यक्ति से हारे।' उस टेस्ट में तेंदुलकर ने 155* बनाए थे। यही बात अप्रैल फूल डे पर, तेंदुलकर के गेंद के साथ जादू के बाद, उनकी वनडे टीम के कप्तान स्टीव वॉ भी जरूर कहना चाह रहे होंगे। 

ये भी बताना जरूरी है कि उस दिन तेंदुलकर हैट्रिक बनाने के भी करीब थे। 42वें ओवर में पहली गेंद पर मूडी का विकेट गिरा तो वे हैट्रिक पर थे और नए बल्लेबाज थे शेन वार्न। गेंद, गुड-लेंथ स्पॉट से उछली और उसे कट करने में वॉर्न गलती कर गए- गेंद सीधे मोंगिया के ग्लव्स में पर ग्लव्स से टकरा हवा में उछल गई। इसे कैच करने जडेजा प्वाइंट से दौड़े लेकिन दूर रह गए और तेंदुलकर हैट्रिक से चूक गए। तब भी, 10-1-32-5 उस खिलाड़ी के लिए गजब की गेंदबाजी थी, जो स्ट्राइक-गेंदबाज नहीं था।

ये भी नोट करें कि तेंदुलकर ने वनडे में एक बार और भी 5 विकेट लिए (वह भी कोच्चि में, 2 अप्रैल 2005 को पाकिस्तान के विरुद्ध) पर वे एक अलग स्टोरी हैं। इसलिए गेंदबाज के तौर पर सचिन तेंदुलकर की अर्जुन से तुलना करते हुए कई बार सोचने की जरूरत है। 

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-चरनपाल सिंह सोबती  

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