2003 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की जर्सी पर नहीं था स्पांसर का नाम, ये झगड़ा बना था वजह

Updated: Mon, Nov 27 2023 11:08 IST
Image Source: Google

लखनऊ के सहारा ग्रुप के फाउंडर सुब्रत रॉय का 75 साल की उम्र में देहांत हो गया। एक छोटे से व्यवसायी, जो कुछ साल में देश के सबसे बड़े व्यापारी ग्रुप में से एक बन गए और सहारा श्री का नाम मिला था उन्हें। भारत में खेलों के लिए वे वास्तव में सहारा थे- एक समय वे देश के सबसे बड़े स्पोर्ट्स स्पांसर थे। आज पैसे की बदौलत बेहतर ट्रेनिंग से मैडल जीतने का जो  रिकॉर्ड देख रहे हैं- उसे सुब्रत रॉय ने ही शुरू किया था। क्रिकेट पर उन्होंने सबसे ज्यादा पैसा खर्च किया। 

सहारा इंडिया, 2001 से 2013 तक भारतीय क्रिकेट के स्पांसर थे। इसी की और विस्तार से चर्चा करेंगे क्योंकि ये बड़ी मजेदार स्टोरी है। उनके स्पांसर के दौर में, टीम इंडिया ने चैंपियंस ट्रॉफी (2002), वर्ल्ड टी20 ट्रॉफी (2007), एशिया कप (2010), वर्ल्ड कप (2011) और चैंपियंस ट्रॉफी (2013) जैसे बड़े आयोजन जीते। नोट कीजिए- उसके बाद और किसी स्पांसर के लोगो वाली जर्सी में कोई सीनियर आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीते हैं।

इसके बावजूद टीम इंडिया के साथ उनके संबंध उतार-चढ़ाव वाले रहे और विश्ववास कीजिए- उन्होंने दो बार कॉन्ट्रैक्ट को बीच में ही तोड़ने का फैसला लिया। ये सब जानते हैं कि जब टीम इंडिया ने 2003 का वर्ल्ड कप खेला तो वे स्पांसर थे पर सच्चाई ये है कि वर्ल्ड कप से कुछ ही दिन पहले उन्होंने कह दिया था कि वर्ल्ड कप के लिए टीम को स्पांसर नहीं करेंगे। इसकी वजह आईसीसी की स्पांसर के लिए बनाई पॉलिसी थी। दूसरी बार 2012 में उन्होंने फिर से कॉन्ट्रैक्ट को बीच में ही खत्म करने का फैसला लिया। इस बार, उनकी पुणे आईपीएल टीम की वजह से बीसीसीआई के साथ बिगड़े संबंध थे। तब तो उन्होंने अपनी आईपीएल टीम को भी आईपीएल में न खेलने के लिए कह दिया था।  

 

अब वापस लौटते हैं 2003 वर्ल्ड कप पर। वे स्पांसर थे टीम इंडिया के पर उस वर्ल्ड कप के फोटो देखें तो टीम इंडिया की जर्सी पर सहारा का नाम नहीं था। इसके पीछे जो वजह थी उसी के कारण उन्होंने टीम को स्पांसर करने से इनकार किया था। असल में ये झगड़ा वर्ल्ड कप से भी पहले का था।

ये शुरू हुआ 2002 की चैंपियंस ट्रॉफी से जो श्रीलंका में खेली गई। उस ट्रॉफी के दौरान भी, सहारा के टीम स्पांसर होने के बावजूद, टीम इंडिया की जर्सी पर कोई लोगो नहीं था। तब आईसीसी में एंटी-एंबुश मार्केटिंग क्लॉज का बड़ा शोर था और आईसीसी का कहना था कि जो उनके स्पांसर हैं- उनकी कोई भी प्रतिद्वंद्वी ब्रांड, किसी भी टीम की जर्सी पर अपना लोगो नहीं लगा सकती। सहारा ग्रुप तब क्रिकेटरों की जर्सी पर सहारा एयरलाइंस का लोगो लगाते थे और चूंकि साउथ अफ्रीकन एयरलाइंस स्पांसर थे आईसीसी के, इसलिए आईसीसी ने कह दिया कि टीम इंडिया की जर्सी पर सहारा एयरलाइंस का लोगो नहीं लग सकता। बीसीसीआई की कोई कोशिश काम न आई और आईसीसी ने इस शर्त में कोई रियायत नहीं दी। 

नतीजा ये रहा कि सहारा ने टीम को स्पांसर नहीं किया और बीसीसीआई ने बहुत बड़ा नुकसान झेला। 5 अक्टूबर 2002 को बीसीसीआई ने सहारा को एक चिठ्ठी में वायदा किया था कि 2003 वर्ल्ड कप से पहले इस मसले को सुलझा लेंगे इसलिए वे स्पांसर बने रहें पर बात बनी नहीं। सहारा ग्रुप तो इस बात के लिए भी तैयार था की 'सहारा' की जगह 'सुब्रत' शब्द लिखने दें पर आईसीसी ने इसे भी नहीं माना। ये वास्तव में बीसीसीआई के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था पर वे कुछ कर न पाए।    

जल्दी ही 2003 का वर्ल्ड कप सामने आ गया और फिर से यही झगड़ा शुरू हो गया। आईसीसी ने इस बार भी कोई भी रियायत देने से इंकार कर दिया और दूसरी तरफ बीसीसीआई ने अपना नुकसान बचाने के लिए सहारा इंडिया को अपने से अलग नहीं होने दिया। टकराव वही एयरलाइन व्यवसाय का था- आईसीसी स्पांसर साउथ अफ्रीकन एयरलाइंस को आईसीसी का पूरा सपोर्ट हासिल था। बीसीसीआई ने तो आईसीसी को यहां तक धमकी दी कि वे इस अजीब फैसले के विरोध में, हर्जाना वसूल करेंगे और जरूरत हुई तो लुसाने (स्विट्जरलैंड) में इंटरनेशनल कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे। 

Also Read: Live Score

तब बीसीसीआई चीफ जगमोहन डालमिया थे। हालांकि थे तो वे भी बड़े प्रभावशाली अधिकारी पर तब आईसीसी पर बीसीसीआई का आज जैसा रूतबा नहीं था। कुछ नहीं हुआ और सहारा ने, इस सब के बावजूद बीसीसीआई का साथ नहीं छोड़ा और दक्षिण अफ्रीका में वर्ल्ड कप के दौरान, भारतीय खिलाड़ियों की जर्सी पर अपने नए प्रोजेक्ट 'एंबी वैली' का लोगो लगा दिया। इससे उन्हें कोई कमर्शियल फायदा न मिला क्योंकि ये तो भारत का एक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट था पर वे नुकसान उठाकर भी भारतीय क्रिकेट का 'सहारा' बने रहे।
 

TAGS

Related Cricket News

Most Viewed Articles