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आज 'विराट कोहली बनाम रोहित शर्मा' किस्से में जो हो रहा है - ये तो कुछ भी नहीं

इन दिनों वाइट बॉल क्रिकेट के लिए, टीम इंडिया के कप्तान को लेकर जो बयानबाजी, स्पष्टीकरण और अफवाहें सुनने को मिल रही हैं- उससे ऐसा लगता ये सब बड़ा अनोखा हो रहा है। असल में भारत के इंटरनेशनल क्रिकेट के इतिहास

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Cricket Image for आज 'विराट कोहली बनाम रोहित शर्मा' किस्से में जो हो रहा है - ये तो कुछ भी नहीं
Cricket Image for आज 'विराट कोहली बनाम रोहित शर्मा' किस्से में जो हो रहा है - ये तो कुछ भी नहीं (Image Source: Google)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
Dec 18, 2021 • 11:52 AM

इन दिनों वाइट बॉल क्रिकेट के लिए, टीम इंडिया के कप्तान को लेकर जो बयानबाजी, स्पष्टीकरण और अफवाहें सुनने को मिल रही हैं- उससे ऐसा लगता ये सब बड़ा अनोखा हो रहा है। असल में भारत के इंटरनेशनल क्रिकेट के इतिहास में झांकें तो पता चलेगा कि ये तो कुछ भी नहीं। रोहित शर्मा को कप्तान बनाए जाने के तरीके पर विवाद है- रोहित शर्मा की इस ड्यूटी के लिए योग्यता पर किसी ने सवाल नहीं उठाया। यहां तो ऐसे किस्से भी हैं, जब 'किसी' को भी कप्तान बना दिया- क्योंकि कप्तान बनने के लिए सिर्फ अच्छी क्रिकेट टेलेंट का होना जरूरी नहीं था। भारत के टेस्ट क्रिकेट में आने के बाद ही इसकी पहली मिसाल देखने को मिल गई थी।

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
December 18, 2021 • 11:52 AM

ये मानने वाले कम नहीं कि 1926 में, आर्थर गिलिगन की एमसीसी टीम के भारत टूर ने भारत को टेस्ट दर्जा दिलाने में बड़ी ख़ास भूमिका अदा की। इसमें भी खास तौर पर उस एक पारी ने जो सीके नायडू ने उनके विरुद्ध खेली- 100 मिनट में 13 चौकों और 11 छक्कों की मदद से 153 रन। जब आउट हुए तो अंपायरों ने भी तालियां बजाईं- इसी से अंदाजा हो जाता है कि वे कैसे खेले? जब टेस्ट दर्जा मिला तो यही सीके नायडू टीम के कप्तान बनने के सबसे सही दावेदार थे- टीम 1932 में इंग्लैंड गई थी टेस्ट खेलने।

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ये आज़ादी से पहले का दौर था और उन सब सालों में सही मायने में रॉयल्टी यानि कि राजा- महाराजाओं का पैसा ही क्रिकेट को चला रहा था। इस नाते क्रिकेट पर भी उनका कंट्रोल था। यही वजह है कि सभी को खुश करने के चक्कर में पोरबंदर के महाराजा को कप्तान, कुमार श्री लिंबडी (पोरबंदर के बहनोई) को उप कप्तान और यहां तक कि विजयनगरम के महाराज कुमार उर्फ विजी को डिप्टी उप कप्तान बना दिया। किसने चिंता की कि क्रिकेट के नाते तो सीके नायडू को कप्तान हुआ चाहिए था?

विजी कप्तान बनना चाहते थे- उन्हें डिप्टी उप कप्तान बनना कतई पसंद नहीं आया और वे टूर पर ही नहीं गए। पोरबंदर और लिम्बडी टूर पर गए पर ग्राउंड में पसीना बहाने नहीं- इसलिए जब तक टेस्ट खेलने तक पहुंचे दोनों ने अपने आप, समझदारी दिखाकर कप्तानी की बागडोर सीके नायडू को सौंप दी थी। इस तरह सीके नायडू टेस्ट में कप्तान थे। भले ही भारत की टीम टेस्ट हार गई पर टीम ने अपनी क्रिकेट से तारीफ हासिल की और सीके नायडू ने कप्तान के तौर पर प्रभावित करने में कोई कमी नहीं रखी।

अगले चार सालों में विज़ी, जो अन्य राजा- महाराजाओं की तुलना में 'बेहतर' क्रिकेटर थे, बस इसी स्कीम पर काम करते रहे कि कैसे टेस्ट टीम के कप्तान बनें? अंग्रेज भारत पर शासन कर रहे थे पर इस बात के लिए उनकी तारीफ करनी होगी कि कभी भी गोरे क्रिकेटरों को भारत की टीम में शामिल करने की कोशिश नहीं की (जैसा वे वेस्टइंडीज में कर रहे थे- हालांकि 1932 के टूर के लिए भी बंबई में पैदा हुए डगलस जार्डिन को भारत का कप्तान बनाने की चर्चा हुई थी)। इसका मतलब ये नहीं कि वे भारतीय क्रिकेट के मामलों में दखल नहीं देते थे- ख़ास फैसले उन्हीं की मंजूरी से लिए जाते थे। विजी ने इसी का फायदा उठाया और ब्रिटिश वायसराय के साथ सांठ -गाँठ से 1936 के इंग्लैंड टूर के लिए कप्तान बन गए।

सीके नायडू हटे और विजी नए कप्तान बने। सीके नायडू उस टीम में थे और इंग्लैंड में खेले। ये भारत के सबसे विवादास्पद टूर में से एक साबित हुआ और विजी ग्राउंड पर और ग्राउंड से बाहर के फैसलों के लिए खूब चर्चा में रहे। इतना ही नहीं, अपने करीबी जैक ब्रिटैन-जोन्स को मैनेजर बनवाया ताकि बाकी क्रिकेटरों पर 'अंग्रेजों का डर' बना रहे। विजी अपने साथ 36 बैग और दो सेवक भी इंग्लैंड ले गए थे।

सीके नायडू का इंटरनेशनल करियर सिर्फ सात टेस्ट का है- अपना सबसे बड़ा स्कोर (81) जब केनिंग्टन ओवल में अपने आखिरी टेस्ट में बनाया तो वे 40 साल के थे। इस तरह सीके नायडू पहले चार टेस्ट में भारत के कप्तान थे- लॉर्ड्स टेस्ट के अलावा, 1933/34 में इंग्लैंड के भारत टूर के दौरान तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में भारत की कप्तानी की। रिकॉर्ड- तीन हारे और 1934 में ईडन गार्डंस में टेस्ट ड्रॉ हुआ।

टेस्ट रिकॉर्ड- 7 टेस्ट में 25 की औसत से 350 रन जिसमें दो फिफ्टी। कुल रिकॉर्ड- 207 मैच, 26 सेंचुरी, 35.94 औसत से 11,825 रन और 200 टॉप स्कोर। साथ में 29.28 औसत से 411 विकेट भी लिए। इसकी तुलना में विजी ने 3 टेस्ट खेले- सभी उसी 1936 के टूर में और 6 पारी में 33 रन बनाए।

सीके नायडू को आज भी भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान के तौर पर याद किया जाता है- इसकी तुलना में 1936 का टूर, नायडू को हटाकर कप्तान बने विजयनगरम के महाराज कुमार उर्फ़ विजी की बदौलत सबसे बड़े विवाद के तौर पर। वे एक साधारण क्रिकेटर थे, 9वें नंबर पर बल्लेबाजी की, कभी गेंदबाजी या विकेट कीपिंग नहीं की। हालत ये थी कि आरोप है कि एक बार एक दूसरी टीम के कप्तान को सोने की घड़ी रिश्वत दी ताकि उनके लिए फुल-टॉस और लॉन्ग-हॉप गेंदबाजी कराए। टीम में सीके नायडू के विरुद्ध गुटबाजी की और अपने पसंद के क्रिकेटरों को तोहफे देकर उनका 'साथ' बटोरते रहे।


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