Cricket Tales - इंदौर टेस्ट ने एकदम याद करा दिया 'होमवर्क गेट'
Cricket Tales | क्रिकेट के अनसुने दिलचस्प किस्से - ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट में 'मंकी गेट' और 'सैंडपेपर गेट' का खूब जिक्र होता है पर एक 'गेट' और भी है जिसने ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट में बड़ा तमाशा किया लेकिन उसकी चर्चा वे बहुत कम
Cricket Tales | क्रिकेट के अनसुने दिलचस्प किस्से - तो, ऑस्ट्रेलिया ने आखिरकार इस टूर में पहली जीत हासिल कर ली। टेस्ट का इंदौर शिफ्ट होना और न सिर्फ टीम, कप्तान का बदलाव भी उनके लिए भाग्यशाली साबित हुआ। भारत को उस ट्रैक पर मात दी, जो भारत के लिए बना था। एक बड़ा मजेदार रिकॉर्ड ये है कि पिछले 20 साल में ऑस्ट्रेलिया को भारत में नियमित कप्तानों के तहत: 16 टेस्ट में 1 जीत मिली है और स्टैंड-इन कप्तानों के तहत: 5 टेस्ट में 3 जीत।
ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट में 'मंकी गेट' और 'सैंडपेपर गेट' का खूब जिक्र होता है पर एक 'गेट' और भी है जिसने ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट में बड़ा तमाशा किया लेकिन उसकी चर्चा वे बहुत कम करते हैं- शायद इसलिए कि वह किस्सा 'उनका अपना' है। 2013 के उस किस्से का नाम है 'होमवर्कगेट' और अब उस किस्से को याद करने की वजह, न सिर्फ भारत में मौजूदा सीरीज है, कुछ-कुछ वैसा ही हो रहा है।
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तब भी सीरीज के पहले दोनों टेस्ट मेहमान टीम हारी थी- चेन्नई और हैदराबाद में। तब भी तीसरे टेस्ट के लिए टीम में एकदम कई बदलाव हुए पर वजह अलग थी। क्या वजह थी तब? आप सुनेंगे तो हैरान रह जाएंगे क्योंकि क्रिकेट में ये अपनी तरह का अनोखा मामला है। ऑस्ट्रेलिया की दो टेस्ट में हार के बाद, उनके कोच मिकी आर्थर ने टूर टीम के खिलाड़ियों को एक 'होमवर्क' दिया- 4 खिलाड़ियों ने होमवर्क नहीं किया तो कोच एकदम हेड मास्टर बन बैठे और सजा के तौर पर उन चार को टीम से बाहर कर दिया। इस बात की भी चिंता नहीं की कि पहले से हार रही टीम पर इससे क्या असर पड़ेगा?
तब अगला यानि कि तीसरा टेस्ट मोहाली में था। इस बार तो टीम में बदलाव के बाद इंदौर में जीत गए लेकिन 2013 में मोहाली में हार गए थे। इस हार ने भी ऑस्ट्रेलिया का भला किया और एक ऐसा स्टार दिया जो क्रिकेट में सबसे बेहतरीन बल्लेबाज में से एक बना और संयोग से इस बार इंदौर में ऑस्ट्रेलिया की किस्मत बदलने में उसी स्टार ने सबसे ख़ास भूमिका निभाई।
ये थे स्टीव स्मिथ। वे तो 2013 की सीरीज में पहले दो टेस्ट की प्लेइंग इलेवन में भी नहीं थे- 'होमवर्क गेट' ने उनके लिए, 26 महीने बाद, टीम में जगह बना दी। तब मोहाली में अश्विन, ओझा और जडेजा के सामने जो 92 रन बनाए वे गजब के थे और उसके बाद स्मिथ के टेस्ट करियर ने जो उड़ान भरी वह आज तक जारी है। इंदौर टेस्ट देख कर यह मानने वाले कम नहीं थे कि स्मिथ से टेस्ट कप्तानी छीनना, ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट का एक बेहद गलत फैसला था।
2013 की उस टेस्ट सीरीज के लिए भी ऑस्ट्रेलिया टीम जीत के इरादे के साथ आई थी लेकिन चेन्नई में एमएस धोनी के शानदार दोहरे शतक और हैदराबाद में चेतेश्वर पुजारा के 204 और मुरली विजय के 167 रन ने कमाल किया और बाक़ी का काम अश्विन का था। इन दो हार ने ऑस्ट्रेलिया कैंप को संकट के मोड में डाल दिया। चीफ कोच मिकी आर्थर को लगा कि कुछ ऐसा किया जाना रह गया है जो वे सोच नहीं पाए हैं। तो क्यों न, खिलाड़ियों से ही राय ले लें? इसलिए टूर टीम के सभी 15 खिलाड़ियों को कहा- बचे दो टेस्ट के लिए अपने और टीम के प्रदर्शन में सुधार करने के तरीके पर तीन सुझाव दें। इस 'होमवर्क' के लिए चार दिन भी दिए- टेक्स्ट, ईमेल या पॉइंटर्स के साथ नोट से बता दो।
11 खिलाड़ियों ने समय पर होमवर्क कर दिया- शेन वॉटसन, मिचेल जॉनसन, जेम्स पैटिनसन और उस्मान ख्वाजा ने नहीं किया। कोच इंतजार करते रहे पर अगले दो दिन में भी, इन चार की तरफ से कुछ नहीं आया। तब कोच और कप्तान माइकल क्लार्क ने सपोर्ट स्टाफ से सलाह के बाद, जिन चार ने 'होमवर्क' जमा नहीं किया था, उन्हें मोहाली टेस्ट से सस्पेंड कर दिया। संयोग से, इनमें से, वॉटसन को तो वैसे भी मोहाली में नहीं खेलना था क्योंकि वे बच्चे के जन्म के लिए ऑस्ट्रेलिया लौटने की छुट्टी मंजूर करा चुके थे। वाटसन और पैटिंसन सीरीज के पहले दो टेस्ट खेले थे जबकि जॉनसन और ख्वाजा को मौका नहीं मिला था।
इस फैसले की आलोचना तो होनी ही थी- भला ऐसी वजह से कौन खिलाड़ियों को टीम से बाहर करता है? मार्क वॉ ने कहा- ये मजाक नहीं, टेस्ट क्रिकेट है जबकि रिकी पोंटिंग ने वाटसन जैसे क्रिकेटर के साथ ऐसा किया जाना बिलकुल गलत बताया। दूसरी ओर, कप्तान और कोच अपने फैसले का बचाव करते हुए कहते रहे कि फैसला महज होमवर्क न करने पर नहीं लियाहै- टूर के दौरान इनके मिजाज को भी ध्यान में रखा गया। ऑस्ट्रेलिया में सब भारत से हार को भूल कर- इसी किस्से में लग गए। आखिरकार कोच को अपने फैसले की 'सजा' मिली और जबकि उनके कॉन्ट्रैक्ट में अभी 14 महीने बचे थे, उन्हें हटा दिया। उन्होंने तब क्या किया- ये एक अलग स्टोरी है।
कोच मिकी आर्थर सफाई देते रहे पर कोई फायदा नहीं हुआ। मजे की बात ये है कि ये बहुत जल्दी स्पष्ट हो गया कि उनका खिलाड़यों को ऐसी सजा देने का कोई इरादा नहीं था। हुआ क्या था? जब दो दिन और निकलने के बावजूद बाद भी उन 4 ने होमवर्क जमा नहीं किया तो कोच, टीम बस में बैठे सोच रहे थे कि ग्राउंड में उन चारों को इस बारे में फिर से याद कराएं और रात तक का समय दे देंगे। वे ये भी, अपने आप तय कर चुके थे कि खिलाड़ी 'सॉरी' कहेंगे और रात तक काम पूरा कर देंगे।
तब एकदम ऐसा क्या हो गया कि फैसला सस्पेंड करने जैसा हो गया। टीम बस में चिंगारी लगाई ओपनर एड कोवान ने और बोले- 'अरे कोच, जो रिपोर्ट मांगी थी उसका क्या हुआ?' तब उन्होंने बता दिया कि अभी 4 रिपोर्ट का इंतजार है और तब एक साथ आगे का एक्शन तय करेंगे। सपोर्ट स्टॉफ के लोग, ख़ास तौर पर मैनेजर साथ बैठे थे और उन्होंने उन 4 के नाम पूछ लिए। आग लगाई सपोर्ट स्टाफ वालों ने और इसे कोच की बात न मानने की बहस में बदल दिया। तब मिकी को भी लगा कि वास्तव में, उन चारों ने खुले आम उनकी बात नहीं मानी है। माहौल गर्म हो गया और कप्तान क्लार्क से बात कर उन चारों को सस्पेंड करने का फैसला हो गया।
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मिकी ने हमेशा कहा कि जो हुआ वह गलत था पर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को भी उस एक घटना को नहीं, ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट में उनके कुल योगदान को ध्यान में रखना चाहिए था। कप्तान क्लार्क ने कभी उस फैसले को गलत नहीं माना। खिलाड़ियों में से सिर्फ जेम्स पैटिनसन को, जो हुआ उस पर अफ़सोस था और माफी मांगी। सबसे मजेदार तो शेन वॉटसन का मामला रहा। वे बेटे के जन्म के बाद टूर टीम में शामिल हो गए और संयोग से न सिर्फ दिल्ली में चौथे टेस्ट के लिए टीम में थे- अचानक ही क्लार्क की गैरमौजूदगी में कप्तान भी बना दिए गए। इस सारे किस्से में वास्तव में सजा सिर्फ कोच को मिली।