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Cricket Tales - ओवल में अंपायरों ने सिर्फ लाइट मीटर देखा जबकि कराची में 'अंधेरे' में टेस्ट जीते थे

Cricket Tales - जब इंग्लैंड ने पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट जीता तो स्टेडियम के बाहर की सड़क पर लाइट्स जल चुकी थीं। स्टेडियम के अंदर भी कुछ कमरों और गैलरी की लाइट्स ऑन थीं। टेस्ट शाम 5.55 बजे ख़त्म हुआ।

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Cricket Tales
Cricket Tales (Image Source: Google)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
Sep 21, 2022 • 02:42 PM

Cricket Tales - जब इंग्लैंड ने पाकिस्तान के खिलाफ  टेस्ट जीता तो स्टेडियम के बाहर की सड़क पर लाइट्स जल चुकी थीं। स्टेडियम के अंदर भी कुछ कमरों और गैलरी की लाइट्स ऑन थीं। टेस्ट शाम 5.55 बजे ख़त्म हुआ।

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
September 21, 2022 • 02:42 PM

दो नई बातों ने एक पिछले टेस्ट की याद ताजा करा दी।

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पहली : इंग्लैंड-दक्षिण अफ्रीका, ओवल टेस्ट के चौथे दिन इंग्लैंड जीत से सिर्फ 33 रन दूर, बल्लेबाज मजे से खेल रहे थे, फील्डिंग टीम ने खराब लाइट की कोई अपील नहीं की और फ्लड लाइट्स जल चुकी थीं- तब भी अंपायर ने खेल रोक दिया। लगभग 20 हजार दर्शकों के सामने टेस्ट जीतने से बड़ी बात और क्या होती? अगले दिन लगभग खाली स्टेडियम में टेस्ट जीते। ठीक है, अंपायर लकीर के फ़कीर बन कर चले और ये भी न देखा कि बड़े आराम से कुछ देर और खेलते तो टेस्ट में फैसला हो जाता और कई हजार पौंड का खर्चा बचता।

दूसरी : इंग्लैंड की टीम पाकिस्तान में आगे टेस्ट सीरीज खेल रही है।

जो ओवल के अंपायरों ने किया उससे, उनकी प्रतिष्ठा में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। हर अंपायर ऐसा नहीं होता। इसी स्टेटमेंट पर, एक पाकिस्तान-इंग्लैंड टेस्ट को याद को याद करना जरूरी हो जाता है।

11 दिसंबर, 2000 का दिन था जब नासेर हुसैन की कप्तानी में इंग्लिश क्रिकेट टीम ने कराची में पाकिस्तान को हराकर, वहां 1961-62 के बाद, अपनी पहली टेस्ट सीरीज जीत हासिल की। ग्राहम थोर्प ने तीसरे टेस्ट के 5वें दिन सकलेन मुश्ताक की गेंद पर जीत वाले रन बनाए थे।

भारतीय उपमहाद्वीप के टूर पर थी इंग्लैंड टीम- पाकिस्तान में 3 टेस्ट खेलने थे। पहला लाहौर में और दूसरा फैसलाबाद में- ये दोनों ड्रा रहे। मोइन खान कप्तान थे पाकिस्तान टीम के। टॉस जीतकर, इंग्लैंड को पहले फील्डिंग करने को कहा। स्कोर एक समय 64-3 पर मोहम्मद यूसुफ- इंजमाम-उल हक की जोड़ी ने 259 रनों की पार्टनरशिप की। इंजमाम- 147 रन जिसमें 22 चौके और यूसुफ ने 117 रन बनाए। पाकिस्तान का स्कोर- 405 रन।

इंग्लैंड के ओपनर माइकल आथर्टन के शानदार शतक (125) और नासेर हुसैन (50) की एक फाइटिंग पारी ने टूरिंग टीम को मुकाबले पर रखा- स्कोर 388 रन और पाकिस्तान को सिर्फ 17 रन की बढ़त मिली। इसके बाद एकदम पासा पलटा और दूसरी पाकिस्तानी पारी को सिर्फ 158 रन पर समेट दिया। अब इंग्लैंड को जीत के लिए सिर्फ 176 रनों की जरूरत थी।

इंग्लैंड मुश्किल में फंसा। सकलेन मुश्ताक ने 3 विकेट लिए और स्कोर 65-3 था। यहां से ग्रीम हिक ने, दूसरे सिरे पर पहले से जमे ग्राहम थोर्प का साथ दिया और इंग्लैंड जीत के करीब पहुंच गया। तभी वकार यूनिस ने हिक को 40 रन पर आउट कर दिया- उनके 91 रन के स्टैंड ने पाकिस्तान को बौखला दिया था। बहरहाल नासेर हुसैन ने थोर्प (64*) का साथ दिया और इंग्लैंड ने टेस्ट जीत लिया।

ये तो हुई क्रिकेट की बात पर इंग्लैंड की पारी में आख़िरी कुछ मिनट के दौरान जो तमाशा हुआ, उसने इस टेस्ट को यादगार बना दिया। इंग्लैंड को एहसास था कि जीत के लिए, 44 ओवर में 176 रन की कोशिश में, उन्हें लाइट की चुनौती को भी झेलना होगा। उस पर पाकिस्तान के फील्डर, जानबूझकर समय खराब कर रहे थे- इससे मजेदार नजारा और क्या होगा कि एक बार तो इंजमाम आउटफील्ड में जिस तरफ दौड़े- गेंद उसके बिल्कुल उलट दिशा में जा रही थी! मोईन बार-बार खराब लाइट की अपील कर रहे थे। टेस्ट में न्यूट्रल अंपायर थे स्टीव बकनर और जितनी, समय खराब करने वाली, उल - जलूल हर कर रहे थे पाकिस्तान के फील्डर, बकनर उतना भड़क रहे थे।

खराब रोशनी की अपील को वे सुन ही नहीं रहे थे। बल्लेबाज बिना दिक्कत खेल रहे हैं तो खेल क्यों रोकें? विश्वास कीजिए- जो उस शाम कराची के नेशनल स्टेडियम में थे, उन्होंने टेस्ट में 'अंधेरे' में क्रिकेट को देखा। 'द टाइम्स ' ने लिखा- असली अंधेरा, गेंद तब तक नहीं देखा जा सकता जब तक आंखों के सामने न आ जाए और गेंदबाज को सिर्फ इतना अंदाजा होता था कि बल्लेबाज कहां है। एक और अखबार ने लिखा- रात होने की स्पीड, वकार यूनिस के इनस्विंगर से भी तेज थी।

तब भी सीनियर अंपायर स्टीव बकनर नहीं माने और जवाब था- उन्हें गेंद दिख रही है तो खेल क्यों रोकें? जब टेस्ट जीते तो स्टेडियम के बाहर की सड़क पर लाइट्स जल चुकी थीं। स्टेडियम के अंदर भी कुछ कमरों और गैलरी की लाइट्स ऑन थीं। टेस्ट शाम 5.55 बजे ख़त्म हुआ- लगभग खाली स्टेडियम और जो खेल देखने आए भी थे, वे भी इफ्तार के लिए निकल गए थे। दिसंबर में दिन छोटे ही होते हैं।

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मोइन ने बकनर से कई बार बहस की- गेंद दिख नहीं रही और तभी फील्डर गेंद को रोक नहीं पा रहे जबकि दूसरी तरफ थोर्प की किस्मत उनके साथ थी- हर शॉट ठीक तरह से खेला।इसके उलट, ओवल में अंपायरों ने दिमाग नहीं लगाया- सिर्फ लाइट मीटर को देखा।

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