Cricket History - इंग्लैंड का भारत दौरा 1951-52
साल 1951/52 में इंग्लैड की टीम ने पांच मौचों की टेस्ट सीरीज के लिए भारत का दौरा किया। इस बार इंग्लैंड की बेहद कमजोर और अनुभव हीन टीम भारत आई। खास बात यह रही कि जिस टीम ने भारत का
साल 1951/52 में इंग्लैड की टीम ने पांच मौचों की टेस्ट सीरीज के लिए भारत का दौरा किया। इस बार इंग्लैंड की बेहद कमजोर और अनुभव हीन टीम भारत आई। खास बात यह रही कि जिस टीम ने भारत का दौरा किया उसके 8 खिलाड़ी अनकैप्ड थे और यहां तक कि टीम में शामिल सभी खिलाड़ियों में से किसी ने 10 मैच भी नहीं खेला था।
साथ ही यह पहली दफा था जब अंग्रेजों की एक टीम भारत के आजाद होने के बाद यहां आई थी। जब अंग्रेजों ने भारत में कदम रखा तब उनका भव्य स्वागत हुआ और उन्हें देखने के लिए भारतीय दर्शकों की अपार भीड़ लगी थी। बॉम्बे पोर्ट से लेकर ब्रेबोन स्टेडियम तक, जब तक अंग्रेजी खिलाड़ी चले नहीं गए तब तक क्रिकेट फैंस की कतार वहां से हिली नहीं।
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पांच मैचों की इस टेस्ट सीरीज के शुरूआती 3 मैच ड्रॉ रहें लेकिन कानपूर में हुए तीसरे मुकाबलें में अंग्रेजों नें बाजी मार ली। लेकिन भारतीय टीम इस बार पलटवार को तैयार थी और उन्होंने मद्रास में खेले गए सीरीज के आखिरी टेस्ट में इंग्लैंड की टीम को पारी और 8 रनों से हराते हुए इतिहास रच दिया। भारत ने आखिरकार साल 1932 में अपना पहला टेस्ट मैच खेलने के 20 साल बाद क्रिकेट के सबसे लंबे फॉरमेट में जीत हासिल की।
पहले दिन का खेल खत्म होने के बाद इंग्लैंड की टीम का स्कोर 5 विकेट के नुकसान पर 224 रन था। लेकिन खेल खत्म होने से पहले इंग्लैंड से यह खबर आई थी कि वहां के राजा जॉर्ज XI का निधन हो गया है। इसी खबर के बाद पहले दिन के खेल को रोक दिया गया और फिर अगले दिन से मुकाबला वहीं से शुरू हुआ।
भारत के लिए इससे पहले भी क्लब और फर्स्ट-क्लास मैचों की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले वीनू मांकड ने यहां मद्रास के मैदान पर भी टीम के लिए गेंद और बल्ले दोनों से कमाल किया और टीम को इस ऐतिहासिक टेस्ट की जीत के दरवाजे तक ले गए।
उन्होंने पहली पारी में 55 रन देते हुए 8 बल्लेबाजों को पवेलियन का रास्ता दिखाया और इंग्लैंड की टीम पहली पारी में 266 रनों पर ढ़ेर हो गई। इस सीरीज में वीनू मांकड ने 31.85 की इकॉनमी से 223 रन देते हुए कुल 34 विकेट निकालने का कारनामा किया था जिसमें इनका औसत 16.79 का रहा।