ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि पाकिस्तान में पिच ने ऑस्ट्रेलिया को झटका दिया
Cricket History - कहानी ऑस्ट्रेलिया के पहले पाकिस्तान दौरे की (1956) पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इस रिकॉर्ड का बड़ा प्रचार किया कि ऑस्ट्रेलिया की टीम 1998 के बाद से पाकिस्तान के पहले टूर पर है।ऑस्ट्रेलिया जैसी टॉप टीम का...
Cricket History - कहानी ऑस्ट्रेलिया के पहले पाकिस्तान दौरे की (1956)
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इस रिकॉर्ड का बड़ा प्रचार किया कि ऑस्ट्रेलिया की टीम 1998 के बाद से पाकिस्तान के पहले टूर पर है।ऑस्ट्रेलिया जैसी टॉप टीम का पकिस्तान आना- पकिस्तान में बड़े पैमाने पर इंटरनेशनल क्रिकेट की वापसी के लिए किसी टॉनिक से कम नहीं। ऐसी बात है तो टेस्ट भी बेहतर होने चाहिए। इसके उलट दो टेस्ट खत्म होने पर क्रिकेट से बड़ी चर्चा पिच थी- ख़ास तौर पर रावलपिंडी टेस्ट की।
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विकेट गिरने का नाम ही नहीं ले रहे थे- ऑस्ट्रेलिया 459 रन और पाकिस्तान 4 विकेट पर 728 रन। पांचवें और आखिरी दिन भी पिच ऐसी थी कि किसी गेंदबाज का करियर खत्म कर दे। इस रिकॉर्ड को देखते हुए इन्हीं दोनों टीम के बीच, पाकिस्तान में, सबसे पहला टेस्ट याद आ जाता है। ऑस्ट्रेलिया की टीम पहली बार पाकिस्तान में टेस्ट खेलने 1956 में गई थी। इस बार कोविड और सिक्योरिटी का डर था- तब डिसेंट्री और हेपेटाइटिस का। इस बार रावलपिंडी टेस्ट में जो पिच बनाई- उसके पीछे मकसद एक ही था कि ऐसी पिच हो जिस पर ऑस्ट्रेलिया के टॉप गेंदबाज भी विकेट न ले पाएं। 1956 में टेस्ट में भी यही मकसद था पर एक अलग अंदाज में- पिच ऐसी हो जिस पर ऑस्ट्रेलिया वाले पाकिस्तान के गेंदबाजों को न खेल पाएं।
इयान जॉनसन की टीम अक्टूबर 1956 में कराची आई इंग्लैंड में 5 टेस्ट की एशेज 1-2 से हारने के बाद, लौटते हुए। भारतीय उपमहाद्वीप का पहला टूर- पाकिस्तान में एक टेस्ट के बाद भारत में तीन टेस्ट पर ऑस्ट्रेलिया में हर किसी का ध्यान इन टेस्ट पर नहीं, कुछ ही दिन बाद शुरू होने वाले मेलबर्न ओलंपिक पर था।
टेस्ट का पहला दिन- ऑस्ट्रेलिया 80 रन पर आउट। काम से पुलिस सुपरिटेंडेंट- पाकिस्तान के सीमर फजल महमूद ने 6-34 की गेंदबाजी की। ये कैसी पिच थी? पिच थी कहां- टेस्ट तो मैटिंग पर खेल रहे थे। टेस्ट देश होने के बावजूद पाकिस्तान ने ऑस्ट्रेलिया को मैटिंग पर खिलाया। पहले दिन जवाब में पाकिस्तान 15/2 पर यानि कि पूरे दिन में 95 रन और 12 विकेट गिरे। टेस्ट इतिहास में रन के मामले में सबसे धीमा शुरुआती दिन था।अगले दिन के ऑस्ट्रेलियाई अखबारों के पहले पन्ने पर इस अजीब क्रिकेट की खबर छपी थी।
जॉनसन की टीम दूसरी पारी में भी कुछ बदल नहीं पाई (स्कोर 187) और टेस्ट 9 विकेट से हार गई। दूसरी पारी में फजल ने 7-80 की गेंदबाजी की। ये कमाल था उस समय, 28 साल के फजल की गेंदबाजी का। मैटिंग पर उनकी तेज लेग-कटर और 'ब्रेक बैक' तेज ऑफ स्पिनर कमाल की थीं- टेस्ट में 75 ओवर फेंके जो उनकी गजब की फिटनेस का नतीजा था। हर रोज सुबह 4.30 बजे उठकर 8 किलोमीटर दौड़ना और फिर पैदल वापसी ।
इस टेस्ट में खेली मेहमान टीम की हालत का अंदाजा लगाना जरूरी है। एशेज हारने के बाद, टीम ने यूरोप में तीन हफ्ते की छुट्टियां बिताईं। रोम से कराची जाना था पर किसी वजह से तय फ्लाइट रद्द हो गई। जो अगली फ्लाइट मिली- उससे तब कराची पहुंचे जब टेस्ट शुरू होने में दो दिन भी नहीं बचे थे। उस पर क्रिकेटर, लगभग 48 घंटे से सोए नहीं थे।
सिर्फ स्टार ऑलराउंडर कीथ मिलर टीम के अकेले ऐसे क्रिकेटर थे जो इससे पहले भारतीय उपमहाद्वीप में खेले थे- 1945 में भारत में एक ऑस्ट्रेलियाई सर्विसेज टीम के साथ और उसके एक दशक बाद पाकिस्तान में एक फ्लड रिलीफ मैच। क्या वे भी वहां खेलने के लिए तैयार थे? कोई भी नहीं जानता था कि हर गेंद को स्विंग करने वाली इस मैट पर कैसे खेलना है?
मैट- लगभग 50 मीटर लंबाई और आसानी से टेस्ट पिच की चौड़ाई को कवर करने वाली। मोटे फाइबर की ये मैट दोनों सिरे पर स्टंप से लगभग 15 मीटर आगे तक निकली हुई थी। पूछा कि मैट इतनी लंबी क्यों है तो जवाब मिला- बड़ी मेहनत से तैयार, नाजुक घास को कराची की सूखी गर्मी से बचाने के लिए।
ऐसा नहीं कि मेहमान क्रिकेटरों ने इससे पहले मैट देखी नहीं थी- उनके देश में पार्क और देश के छोटे कस्बों में मैटिंग से ढकी पिचें थीं पर इस सिर्फ क्यूरेटोरियल प्रतिबंधों की वजह से। नीचे जमीन बड़ी ठोस और कठोर थी। क्रिकेट खेलने वाले बड़े देशों में, भारतीय उपमहाद्वीप से बाहर कहीं भी फर्स्ट क्लास क्रिकेट को मैटिंग विकेट पर नहीं खेल रहे थे। इसका साफ़ मतलब है कि मेहमान टीम मैटिंग पर खेलने के लिए कतई तैयार नहीं थी। फ्लाइट से उतरने के कुछ ही घंटों बाद, ऑस्ट्रेलिया टीम ने मैटिंग पर पहला और अकेला प्रैक्टिस सेशन आयोजित किया था।
गेंदबाज- जिनमें नई गेंद की जोड़ी मिलर और रे लिंडवाल भी थे- नए जूते ले आए और पारंपरिक स्पाइक्स को रबर के तलवों से बदल दिया पर कोई फायदा नहीं हुआ। दूसरी तरफ पाकिस्तान के बल्लेबाज दो साल पहले, इंग्लैंड में फ्रैंक टायसन और ब्रायन स्टैथम जैसे तेज गेंदबाजों को खेल आए थे। उसके मुकाबले उन्हें कराची में एलन डेविडसन बहुत तेज नहीं लगे।साथ में लिंडवाल, अपने करियर के आखिरी मुकाम पर थे और सिर्फ मीडियम पेसर ही रह गए थे।
एक और बात हो गई जिससे दर्शक भी टीम से नाराज थे। पाकिस्तान बोर्ड ने टीम के स्वागत के लिए एक पब्लिक फंक्शन रखा था पर टीम के लेट आने से वह रद्द करना पड़ा। इसके अतिरिक्त स्थानीय लोग चाहते थे कि इतवार (छुट्टी का दिन) को खेल हो- मेहमान टीम पारंपरिक रेस्ट डे तीन दिन बाद लेने पर अड़ी रही। ये सब बातें भी टीम को बैक फुट पर ले आईं तो टेस्ट तो हारना ही था।
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